नई दिल्ली I बलात्कारी आसाराम बापू के रेपिस्ट बेटे नारायण साईं को क्या सजा दी जाए, अदालत मंगलवार को इसका फैसला करेगी. सूरत की सेशंस कोर्ट ने शुक्रवार यानी 26 अप्रैल को सूरत की रहने वाली दो बहनों के साथ बलात्कार के आरोप में नारायण साईं को दोषी करार दिया था. इस मामले में अदालत ने दोषी को सजा सुनाने के लिए 30 अप्रैल का दिन तय किया था.

पुलिस ने पीड़ित बहनों के बयान और मौके से मिले सबूतों के आधार पर नारायण साईं और आसाराम के खिलाफ केस दर्ज किया था. नारायण साईं और आसाराम के खिलाफ रेप का ये केस करीब 11 साल पुराना है. पीड़िता छोटी बहन ने अपने बयान में नारायण साईं के खिलाफ ठोस सबूत देते हुए हर लोकेशन की पहचान की है. जबकि बड़ी बहन ने आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था. आसाराम के खिलाफ फिलहाल गांधीनगर के कोर्ट में मामला चल रहा है.

नारायण साईं के खिलाफ कोर्ट अब तक 53 गवाहों के बयान दर्ज कर चुकी है, जिसमें कई अहम गवाह भी हैं, जिन्होंने नारायण साईं को लड़कियों को अपने हवस का शिकार बनाते हुए देखा था या फिर इस कृत्य में आरोपियों की मदद की थी, लेकिन बाद में वो गवाह बन गए.

नारायण साईं पर जैसे ही रेप के मामले में FIR दर्ज हुई, वैसे ही वह अंडरग्राउंड हो गया था. वह पुलिस से बचकर लगातार अपनी लोकेशन बदल रहा था. तत्कालीन सूरत पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने नारायण साईं को गिरफ्तार करने के लिए 58 अलग-अलग टीमें बनाई और तलाशी शुरू कर दी.

एफआईआर दर्ज होने के करीब दो महीने बाद दिसंबर, 2013 में नारायण साईं हरियाणा-दिल्ली सीमा के पास से गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के वक्त नारायण साईं ने सिख व्यक्ति का भेष धर रखा था. खुद को कृष्ण का रूप बाताने वाले नारायण साईं की गिरफ्तारी के बाद उसके कृष्ण की तरह महिलाओं के बीच बांसुरी बजाने के कई वीडियो भी सामने आए थे.

नारायण साईं पर जेल में रहते हुए पुलिस कर्मचारी को 13 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का भी आरोप लगा था, लेकिन इस मामले में नारायण साईं को जमानत तो मिल गई थी. हालांकि रेप का मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है.

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