नई दिल्ली. 1 अप्रैल को नुकसान में चल रहे बैंकों का मर्जर होने वाला है. यही वजह है कि सरकार सरकारी बैंकों का बड़े बैंकों में विलय कर रही है. 1 अप्रैल को विलय की प्रक्रिया का नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. इस नोटिफिकेशन के बाद 10 बैंकों का 4 बैंकों में विलय कर दिया जाएगा. इसके बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 रह जाएगी. इस मर्जर के बाद सबसे ज्यादा असर ग्राहकों पर पड़ेगा क्योंकि खाताधारकों के बैंक अकाउंट नंबर से लेकर IFSC कोड तक सब बदल जायेगा.

इस बड़े विलय की घोषणा पिछले साल 30 अगस्त को की गई थी. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, मर्जर के बाद बैंकों के नाम भी बदल सकते हैं. हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक कोई भी बयान जारी नहीं हुआ है.

इस संबंध में अधिसूचना जारी होने पर इन बैंकों के निदेशक मंडलों द्वारा विलय के लिए स्वैप रेशियो को मंजूरी प्रदान की जाएगी. छोटे हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए प्रत्येक बैंक को विनियामक मानदंडों का अनुपालन करना होगा. अधिकारियों ने बताया कि बैंकों द्वारा आवश्यक मूलभूत कार्य पूरा करने के बाद सरकार 10 पीएसयू बैंकों का विलय करके चार बड़े बैंक बनाने के लिए इस सप्ताह के आखिर में अधिसूचना जारी कर सकती है.

पिछले साल अगस्त में 10 बैंकों के विलय की घोषणा की थी
बता दें कि सरकार ने बीते साल अगस्त में 10 बैंकों के विलय की घोषणा की थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में विलय किया जाएगा. केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का विलय और इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय होगा. यूनियन बैंक के साथ आंध्रा बैंक और कारपोरेशन बैंक का विलय किया जाएगा.

इस मर्जर के बाद बचेंगे ये बैंक
इस विलय बाद सार्वजनिक सेक्टर में केवल भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूको बैंक रह जाएंगे.
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