पृथक विदर्भ का कोई विकल्प नहीं
भंडारा. दो दिन पूर्व मोहाडी में हुई सभा में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि भाजपा ने उन्हे मुख्यमंत्री बनाया. आघाडी कार्यकाल की तुलना में भाजपा ने कई गुना निधि विदर्भ को दिलाया है. इस मुद्दे को उठाते हुए विदर्भ माझा संस्थापक राजकुमार तिरपुडे ने कहा कि विदर्भ से मुख्यमंत्री होना और विदर्भ का मुख्यमंत्री होना अलग बात है. अगर विदर्भ राज्य बना होता तो हाशिए पर पडे सिंचाई प्रकल्प कबके पूरे हो गए होते. बिजली सस्ती होती. वैनगंगा में प्रदुषित पानी की समस्या उपजती ही नहीं. इसीलिए पृथक विदर्भ राज्य गठन यही एकमात्र विकल्प है. वे स्थानीय हाटेल सरगम के कान्फ्रेंस हाल में आयोजित पत्र परिषद में बोल रहे थे.
उनके साथ में संगठन पदाधिकारी मंगेश तेलंग, नाना ठाकरे व लोस प्रत्याशी अक्षय पांडे उपस्थित थे.
भंडारा से छोटा है गोवा
राजकुमार तिरपुडे ने आगे कहा कि अगर हिंदी भाषी कई राज्य हो सकते है. तो मराठी भाषी दो राज्य क्यों नहीं हो सकते. राज्य निर्मिति के लिए जनसंख्या या क्षेत्रफल जैसी कोई सीमा नहीं है. गोवा राज्य भंडारा जिले से भी छोटा है. जबकि सिक्कीम की जनसंख्या भंडारा जिले से भी कम है.
फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री
राजकुमार तिरपुडे ने कहा कि फडणवीस यह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री है. उन्हे समूचे महाराष्ट्र के हित का ध्यान रखना होता है. ऐसे में न चाहते हुए भी विदर्भ की उपेक्षा होती है.
तिरपुडे ने कहा कि छत्तीसगढ, झारखंड, तेलंगना ने साबित कर दिखाया है कि छोटे राज्यों का तेजी से विकास होता है. छत्तीसगढ में बिजली सस्ती होने से उद्योग वहां जा रहे है. विदर्भ यह बिजली उत्पादक है, लेकिन हमें महंगी मिलती है.
पानी प्रदुषण का हक नहीं
तिरपुडे ने वैनगंगा के प्रदुषण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि दो दशक पूर्व तक देश की सर्वाधिक स्वच्छ नदी रही वैनगंगा की हालत देश में सर्वाधिक खराब हो गयी है. पानी का प्रदुषित करने का अधिकार नहीं है. राज्य सरकार नदी को प्रदुषणमुक्त कराने की ओर ध्यान नहीं दे रही है.
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