नई दिल्ली I राफेल सौदे पर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमले तेज करते हुए कांग्रेस इस मुद्दे को बुधवार को कैग के सामने उठाएगी और इस मामले की विस्तृत जांच की मांग करेगी. पार्टी के सूत्रों ने बताया कि शीर्ष कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर बुधवार सुबह नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से मुलाकात करेंगे. कांग्रेस ने फ्रांस की 'दसॉल्ट एविएशन' से 36 राफेल लड़ाकू विमानखरीदने के सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक दिन पहले कहा कि चाहे कोई कैग और सीवीसी के पास जाए या नहीं, लेकिन उनका संवैधानिक कर्तव्य पूरे सौदे तथा उसके सभी दस्तावेजों की जांच करना है. बहरहाल, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि सभी जानकारियां पहले ही संसद में पेश की जा चुकी हैं.
एंटनी के आरोप पर बोलीं रक्षामंत्री- 9% सस्ते में खरीदा राफेल, संसद को भी है पता
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एके एंटनी ने मंगलवार को रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप लगाया कि वह राफेल डील के मुद्दे पर तथ्यों को छिपा रही हैं. वहीं कांग्रेस के इस आरोप पर पलटवार करते हुए निर्मला सीतारमण ने सारे आरोपों को गलत करार दिया और कहा कि संसद को विमानों की कीमतों और डील के बारे में पहले भी जानकारी थी.
सीतारमण ने साथ ही कहा कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पिछली यूपीए सरकार के समय किए गए करार में तय कीमत के मुकाबले नौ फीसदी कम कीमत पर राफेल विमान हासिल कर रही है.
एके एंटनी का आरोप- सरकार दोषी नहीं तो जांच कराने से क्यों बच रही है?
पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने एनडीए सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि मोदी सरकार राफेल फाइटर जेट डील में हुए धांधली की दोषी है और स्वार्थों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों से समझौता कर रही है. उन्होंने कहा, ''अगर सरकार दोषी नहीं है तो वह क्यों एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन कर जांच कराने से बच रही है?''
एंटनी ने कहा कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल में दावा किया था कि नए समझौते में विमान की कीमत यूपीए सरकार के समय हुए समझौते में तय कीमत से नौ फीसदी सस्ती है. वित्त मंत्री ने कहा कि यह 20 फीसदी सस्ती है, जबकि भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा कि यह 40 फीसदी सस्ती है, तो 'अगर यह इतनी ही सस्ती है तो उन्होंने 126 से ज्यादा विमान क्यों नहीं खरीदे?'
रक्षामंत्री सीतारमण ने इस पर पलटवार करते हुए कहा, 'एके एंटनी वरिष्ठ नेता हैं. उन्हें राफेल डील की सारी जानकारी थी. हमने पहले भी संसद को राफेल डील में फाइटर विमानों की कीमतों को बताया था. यह उनकी गलती है कि वह कह रहे हैं कि हमें केवल 126 प्लेन लेना चाहिए था.''
सीतारमण ने पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी पर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की छवि राष्ट्रीय और ग्लोबल स्तर पर धूमिल करने का आरोप लगाया है.
सीतारमण ने कहा कि अगर यूपीए सरकार इस डील के बारे में निश्चिंत थी तो इस डील पर काम क्यों नहीं किया. एचएएल को निर्माता न चुनने का फैसला यूपीए का ही था.
राफेल विमान सौदे पर रोक के लिए याचिका पर 10 अक्टूबर को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए भारत और फ्रांस के बीच समझौते के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई दस अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी. इस याचिका में राफेल लड़ाकू विमानों के लिये 23 सितंबर, 2016 को हुए समझौते पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है.
जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस नवीन सिन्हा तथा जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने याचिका पर सुनवाई 10 अक्तूबर के लिए उस वक्त स्थगित कर दी जब याचिकाकर्ता एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा ने इसके लिए अनुरोध करते हुए कहा कि वह कुछ अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करना चाहते हैं.
यूपीए सरकार ने 2012 में शुरू की थी 'दसॉल्ट एविएशन' से बातचीत
बता दें कि पिछली यूपीए सरकार ने 126 मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) खरीदने के लिए फ्रांसीसी कंपनी 'दसॉल्ट एविएशन' से 2012 में बातचीत शुरू की थी. कंपनी को 18 ऐसे राफेल विमानों की आपूर्ति करनी थी जो उड़ान भरने के लिए पूरी तरह तैयार हों, जबकि उसे 108 ऐसे राफेल विमानों की आपूर्ति करनी थी, जिसे कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ मिलकर भारत में बनाती. बहरहाल, यह करार यूपीए सरकार के दौरान अंतिम रूप नहीं ले सका था.
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