मुंबई: भारत रत्न सचिन तेंदुलकर के बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर का मंगलवार को मुंबई में निधन हो गया। वो 87 वर्ष के थे। आचरेकर पिछले कई सालों से बीमार चल रहे थे। लंबी बामारी के बाद उनका निधन हुआ। उन्होंने बुधवार शाम 6 बजकर 30 मिनट पर अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनके परिवार के एक सदस्य ने बताया कि बढ़ती उम्र से जुड़ी बीमारियों के कारण उनका निधन हो गया। उनके रिश्तेदार रश्मि दलवी ने पीटीआई को बताया,‘आचरेकर सर हमारे बीच नहीं रहे। उनका आज शाम निधन हो गया।’
वर्ष 1990 में उन्हें भारत सरकार ने द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया था। इसके 20 साल बाद 2010 में उन्हें तत्कालीन राष्टपति प्रतिभा पाटिल ने देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से भी नवाजा था।
आचरेकर ने अपने कैरियर में सिर्फ एक प्रथम श्रेणी मैच खेला लेकिन उन्हें सर डॉन ब्रेडमैन के बाद दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेटर तेंदुलकर को तलाशने और तराशने का श्रेय जाता है । क्रिकेट को अलविदा कह चुके तेंदुलकर के नाम बल्लेबाजी के लगभग सारे रिकार्ड है । उन्होंने टेस्ट में सर्वाधिक 15921 और वनडे में सबसे ज्यादा 18426 रन बनाये हैं ।
आचरेकर उनके बचपन के कोच थे और तेंदुलकर ने अपने कैरियर में उनकी भूमिका का हमेशा उल्लेख किया है। आचरेकर यहां शिवाजी पार्क में उन्हें क्रिकेट सिखाते थे ।तेंदुलकर ने पिछले साल एक कार्यक्रम में अपने कैरियर में आचरेकर के योगदान के बारे में कहा था, 'सर मुझे कभी 'वेल प्लेड' नहीं कहते थे लेकिन मुझे पता चल जाता था जब मैं मैदान पर अच्छा खेलता था तो सर मुझे भेलपुरी या पानीपुरी खिलाते थे।'
आचरेकर ने केवल सचिन तेंदुलकर के अलावा भारत को विनोद कांबली, चंद्रकांत पंडित, प्रवीण आमरे, अजीत आगरकर, रमेश पोवार, बलविंदर सिंह संधू और समीर दीघे जैसे कई टेस्ट क्रिकेटर दिए। नब्बे के दशक में एक वक्त ऐसा भी था जब टीम इंडिया में उनके तीन शिष्य सचिन तेंदुलकर, विनोद कांबली और प्रवीण आमरे एक साथ खेल रहे थे।
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