मुंबई के शारदा आश्रम स्कूल से बैट-बॉल के खेल में सपने बुनने वाले जिस लड़के ने विश्व क्रिकेट में 24 सालों तक राज किया। जिसने दुनिया के हर गेंदबाज को दिखाया कि गेंद को कितने प्रकार से खेला जा सकता है। जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को एक नई पहचान दी। आज वो महान नाम 46 साल का हो गया है- सचिन रमेश तेंदुलकर। दुनिया भर में मौजूद करोड़ों क्रिकेट फैंस के लिए 24 अप्रैल किसी त्योहार से कम नहीं होता है। कोच रमाकांत आचरेकर आज दुनिया में नहीं हैं लेकिन वो भारत को ऐसा रत्न देकर गए जिसने तिरंगे को सम्मान दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज वो क्रिकेट नहीं खेल रहे लेकिन एक बार फिर पूरी दुनिया में जश्न है।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक जड़ने वाले सचिन तेंदुलकर इन दिनों आईपीएल टीम मुंबई इंडियंस के साथ मेंटर के रूप में जुड़े हुए हैं। मैदान पर उनकी मौजूदगी युवा खिलाड़ियों को अब भी प्रेरित कर रही है और कुछ ना कुछ सीखने का मौका दे रही है। सचिन ने अपने क्रिकेट करियर में कई बेमिसाल पारियां खेलीं, अगर उनके फैंस से पूछा जाए तो शायद सबकी पसंद अलग-अलग होगी लेकिन सभी देश के दिल के बेहद करीब रहीं। ऐसे में कई बार ये सवाल उठते रहे कि आखिर खुद सचिन तेंदुलकर की सबसे पसंदीदा पारी कौन सी रही?
इस पारी को सबसे खास मानते हैं सचिन
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने दुनिया के हर देश, हर मैदान पर अपनी छाप छोड़ी। हर टीम के खिलाफ अपने रिकॉर्ड स्थापित किए लेकिन उनकी एक पारी ऐसी थी जो खुद सचिन कभी अपने दिल से दूर नहीं रख पाते। सचिन ने कुछ समय पहले खुद इस पारी को अपनी सबसे पसंदीदा पारी बताया था। वो पारी थी 1992 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर खेली गई नाबाद 148 रनों की पारी।
क्यों खास थी वो पारी?
ऑस्ट्रेलियाई टीम में उस समय मैकडरमॉट, ब्रूस रीड, मर्व ह्यूज और शेन वॉर्न जैसे धाकड़ गेंदबाज मौजूद थे। तेज गेंदबाजों और स्पिनर्स की ऐसी गेंदबाजी लाइन अप के खिलाफ सिडनी की पिच पर एक ऐसा खिलाड़ी मैदान पर था जिसने अभी तक सिर्फ तीन साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का अनुभव था और उनके खाते में सिर्फ 666 रन थे। मैच में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए डेविड बून (नाबाद 129) के शतक के दम पर 313 रनों का स्कोर खड़ा किया था। भारतीय टीम जवाब देने उतरी और 7 रन पर नवजोत सिंह सिद्धू आउट होकर पवेलियन लौट गए लेकिन रवि शास्त्री (206) ने दोहरा शतक जड़ा और पारी को संभाल लिया। इसी पारी में छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे युवा सचिन ने पिच पर 298 मिनट बिताते हुए 213 गेंदों में नाबाद 148 रनों की पारी खेल डाली। इस पारी में 14 चौके शामिल थे।
बनाया खास रिकॉर्ड
सचिन तेंदुलकर की नाबाद 148 रनों की वो पारी बेहद खास इसलिए भी थी क्योंकि वो उस पारी के साथ ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट शतक जड़ने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए थे। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने सभी दिग्गज भारतीय खिलाड़ियों को आउट कर दिया लेकिन वो सचिन को आउट नहीं कर सके। भारत ने उनके दम पर इस पहली पारी में ऑलआउट होने से पहले 483 रनों का स्कोर खड़ा किया। अंतिम दिन तक ऑस्ट्रेलिया अपनी दूसरी पारी में 8 विकेट पर 173 रन बनाकर टिकी रही और भारत ने ये मैच ड्रॉ करा लिया। दिलचस्प बात ये भी रही कि सचिन ने इस सीरीज के पांचवें व अंतिम टेस्ट मैच (पर्थ) में भी अपना कमाल दिखाया और दुनिया की सबसे घातक वाका की पिच पर 114 रनों की पारी खेली जिस दौरान अजहरुद्दीन, श्रीकांत, कपिल देव और वेंगसरकर जैसे बल्लेबाज भी सस्ते में आउट होकर पवेलियन लौट गए थे।

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