नई दिल्ली। क्या एक बार फिर से लैंडर विक्रम (Vikram) से इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (ISRO)के वैज्ञानिक संपर्क साध पाएंगे? क्या लैंडर विक्रम से संपर्क करने के लिए कोई डेड लाइन है? ये वो सवाल हैं जिसके जवाब का पूरी दुनिया को इंतज़ार है. चंद्रयान 2 (Chandrayaan-2)  के लैंडर से रविवार को संपर्क टूट गया था. इसके बाद से अब तक पांच दिन बीत गए हैं. लेकिन अभी तक चंद्रमा की सतह से कोई अच्छी खबर नहीं आई है.

सिर्फ 10 दिन और
इसरो के वैज्ञानिकों ने लैंडर विक्रम से संपर्क साधने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. लेकिन इस मिशन को पूरा करने करने के लिए उनके पास सिर्फ 10 दिनों का समय और बचा है. 21 सितंबर तक ही वे लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की कोशिश कर सकते हैं. इसके बाद लूनर नाइट की शुरुआत हो जाएगी. जहां हालात बिल्कुल बदल जाएंगे. 14 दिन तक ही विक्रम को सूरज की रोशनी मिलेगी. बता दें कि लैंडर और रोवर को भी सिर्फ 14 दिनों तक काम करना था.

माइनस 200 डिग्री का कहर



चांद की सतह पर ठंड बेहद खतरनाक होती है. खास कर साउथ पोल में तो तापमान माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. लैंडर विक्रम ने भी साउथ पोल में ही लैंड किया है. चंद्रमा का ऐसा इलाका जहां अब तक कोई देश नहीं पहुंचा है.

कर्नाटक के गांव से किया जा रहा है संपर्क
विक्रम से संपर्क करने के लिए इसरो कर्नाटक के एक गांव बयालालु से 32 मीटर के एंटीना का इस्तेमाल कर रहा है. इसका स्पेस नेटवर्क सेंटर बेंगलुरु में है. इसरो कोशिश कर रहा है कि ऑर्बिटर के जरिये विक्रम से संपर्क किया जा सके. खास बात ये है कि लैंडर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, यानी इसमें कोई भी टूट-फूट नहीं हुई है. इसरो लैंडर के साथ फिर से संपर्क स्थापित करने की हर संभव कोशिश कर रहा है.
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