नई दिल्ली: जानलेवा कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के बीच देश को प्रदूषण से थोड़ी राहत मिली है. देश के प्रमुख महानगरों में पिछले पांच दिनों के अंदर वायु प्रदूषण में 25 फीसदी तक की गिरावट दर्ज हुई है. लॉकडाउन के बाद से वाहन, कारखाने और कार्बन उत्सर्जन से जुड़े तमाम माध्यम बंद हैं.
क्या कहते हैं सीपीसीबी के आंकड़ें?
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान वायु प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित रहने वाले चार महानगरों दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और पुणे में हवा की गुणवत्ता बेहतर हुई थी. इन शहरों में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारकों (पीएम 10, पीएम 2.5 और एनओ) के उत्सर्जन में 15 से 50 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है.
सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, जनता कर्फ्यू से पहले 21 मार्च तक दिल्ली एनसीआर के शहरों के अलावा अन्य महानगरों में हवा की गुणवत्ता ‘खराब’ और संतोषजनक श्रेणी में दर्ज की जा रही थी. जनता कर्फ्यू के बाद पिछले चार दिनों से जारी लॉकडाउन के दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) पर भी देश के 104 प्रमुख शहरों में शामिल अधिकतर शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक स्तर पहुंच गयी है.
नोएडा सहित 14 नगरों में वायु गुणवत्ता सामान्य श्रेणी में
एक्यूआई के गुरुवार तक के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद सहित अधिकांश शहरों में हवा की गुणवत्ता का स्तर संतोषजनक हो गया है. सिर्फ गुवाहाटी, कल्याण और मुजफ्फरपुर में हवा की गुणवत्ता का स्तर अभी भी ‘खराब’ श्रेणी में बना हुआ है. चंडीगढ़, जालंधर, लुधियाना, कानपुर, खन्ना, कोटा, मानेसर, नारनौल, राजामहेन्द्रवरम, सतना, यादगीर, भिवंडी, हुबली, कैथल, दमोह, पटियाला, कोच्चि, कोझिकोड और उदयपुर में हवा की गुणवत्ता ‘अच्छी’ श्रेणी में दर्ज की गयी है. जबकि वाराणसी और ग्रेटर नोएडा सहित 14 नगरों में वायु गुणवत्ता सामान्य श्रेणी में पहुंच गयी है.
गौरतलब है कि देश के 104 शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति पर सीपीसीबी के वायु गुणवत्ता सूचकांक के माध्यम से निरंतर निगरानी की जाती है. सूचकांक पर पार्टिकुलेट तत्वों, पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्तर के आधार पर इन शहरों में वायु प्रदूषण को छह श्रेणियों (अच्छा, संतोषजनक, सामान्य, खराब, बहुत खराब और गंभीर) में रखा जाता है. एक्यूआई पर ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणी में फिलहाल कोई शहर नहीं है.
परिवर्तन मंत्रालय की संस्था ‘सफर’ क्या कहती है?
वायु गुणवत्ता पर निगरानी के लिये पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की संस्था ‘सफर’ के मुताबिक वायु प्रदूषण से सर्वाधित प्रभावित चार महानगरों, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और पुणे में जनता कर्फ्यू के दौरान वाहन जनित प्रदूषण और विकास कार्यों से उत्पन्न धूल की मात्रा में खासी गिरावट दर्ज की गयी. सफर के आंकड़ों से स्पष्ट है कि वाहन जनित प्रदूषण में पीएम 10 के उत्सर्जन में 15 से 20 प्रतिशत और पीएम 2.5 के उत्सर्जन में 30 से 40 प्रतिशत की कमी आयी. जबकि निर्माण एवं अन्य विकास कार्यों से उड़ने वाली धूल के कारण पीएम 10 के उत्सर्जन में 40 से 48 प्रतिशत और पीएम 2.5 के उत्सर्जन में 17 से 21 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी.
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