नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच गैर चिह्नित सीमा पर उत्तर सिक्किम और लद्दाख के पास कई इलाकों में तनाव बढ़ता जा रहा है. दोनों पक्ष वहां अतिरिक्त बलों की तैनाती कर रहे हैं. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के क्षेत्र में चीनी सैनिकों का मूवमेंट बढ़ा है. भारत ने भी डेमचक, दौलत बेग ओल्डी, गलवान नदी और लद्दाख में पैंगोंग सो झील के पास संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की है.

अंग्रेजी अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल के पहले चार महीनों में आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, LAC के पार 170 चीनी मूवमेंट देखे गए. अकेले लद्दाख में 130 मूवमेंट हुए. 2019 में इसी अवधि के दौरान लद्दाख में ऐसे सिर्फ 110 मूवमेंट देखे गए थे.

साल 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बिश्केक और महाबलीपुरम में मिले थे, उस दौरान लद्दाख में भी चीनी सैनिकों के मूवमेंट में 75 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. वहीं, साल 2018 में LAC के पार 284 मूवमेंट देखे गए.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चीन ने सबसे अधिक हवाई मूवमेंट 2019 में किया. ऐसी 108 घटनाएं हुईं. जबकि 2018 में 78 और 2017 में 47 घटनाएं ही हुई थीं.

उधर, भारत और चीन के सैनिकों के बीच तनातनी को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि भारतीय सैनिक भारत की सीमा के भीतर ही गतिविधियां कर रहे हैं. वे सीमा सुरक्षा के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन करते हैं. भारत ने सीमा पर हालिया घटनाओं के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "भारतीय सैनिक सीमा क्षेत्र से भली-भांति परिचित हैं, बल्कि चीनी सैनिकों ने भारतीय बलों द्वारा की जा रही गश्त में बाधा डाली जिससे ये परेशानी खड़ी हुई."

डोकलाम पर 72 दिन चला था टकराव
भारतीय-चीन बॉर्डर पर डोकलाम इलाके में दोनों देशों के बीच साल 2017 में 16 जून से 28 अगस्त के बीच तक टकराव चला था. हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे. बाद में अगस्त में यह टकराव खत्म हुआ और दोनों देशों में सेनाएं वापस बुलाने पर सहमति बनी.

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