नई दिल्ली I कोरोना संकट के बीच पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी जारी है. तेल कंपनियों ने सोमवार को भी पेट्रोल- डीजल के दामों में वृद्धि कर दी. दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 0.48 रुपये की बढ़ोतरी के साथ 76.26 पहुंच गई है. जबकि डीजल के दाम 0.59 रुपये की वृद्धि के साथ 74.62 रुपये हो गए हैं.

यह लगातार बढ़ोतरी का नौवां दिन है. तेल कंपनियां जून 2017 के बाद से रोजाना के आधार पर कीमतों की समीक्षा कर रही हैं. इससे पहले करीब 12 हफ्तों तक कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के मूल्य में किसी तरह का बदलाव नहीं किया था. 7 जून से दाम में लागत के हिसाब से फेर-बदल शुरू किया गया. उसके बाद से यह लगातार नौवां दिन है जब ईंधन के दाम बढ़े हैं.

नई वृद्धि के साथ दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 0.48 रुपये की बढ़ोतरी के साथ 76.26 पहुंच गई है. जबकि डीजल के दाम 0.59 रुपये की वृद्धि के साथ 74.62 रुपये हो गए हैं. बता दें कि राज्यों में लगने वाले वैट के आधार पर विभिन्न राज्यों में पेट्रोल डीजल की कीमतें अलग-अलग होगी.

क्यों बढ़ रही है तेल की कीमत
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोरोना वायरस संकट के कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का लाभ उठाने और अतिरिक्त संसाधन जुटाने के इरादे से सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी.उसके बाद सरकारी तेल कंपनियों ने कीमतों की दैनिक समीक्षा रोक दी थी.

कांग्रेस ने साधा निशाना
वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गिरने के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफे को लेकर कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाए जाने की मांग की है. कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने रविवार को कहा कि पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतों को कम करके अगस्त 2004 के स्तर पर लाया जाना चाहिए, जब कच्चे तेल की कीमत 40 डॉलर प्रति बैरल थी.

सुरजेवाला ने कहा कि अगस्त 2004 में पेट्रोल 36.81 और डीजल 24.16 रुपये प्रति लीटर था. एलपीजी सिलेंडर 261.60 रुपये का था, लेकिन अब पेट्रोल, डीजल और एलपीजी 75.78, 74.03 और 593.00 रुपये में बेचा जा रहा है. सुरजेवाला ने 6 साल में पेट्रोल और डीजल पर बढ़ाई गई एक्साइज ड्यूटी 23.78 रुपये और 28.37 रुपये को वापस लेने की भी मांग की.

कांग्रेस नेता ने कहा कि देश के 130 करोड़ नागरिक आज कोरोना की महामारी से लड़ रहे हैं. गरीब, प्रवासी श्रमिक, दुकानदार, किसान, छोटे और मध्यम व्यवसायी और बड़ी संख्या में बेरोजगार हुए लोग इस कठिन आर्थिक मंदी और महामारी की स्थिति में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
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