नई दिल्ली I नई दिल्ली. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम की तरह मन की बात  सरीखा एक पॉडकास्ट कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं. नाम प्रकाशित ना करने की शर्त पर कांग्रेस के एक पार्टी नेता ने बताया कि 'फिलहाल हम योजना बना रहे हैं और इस पर चर्चा कर रहे हैं कि इस पर कैसे काम कर सकते हैं. हम एक्सपर्ट्स की सलाह ले रहे हैं.'

पॉडकास्ट एक ऑडियो मैसेज या डिस्कसन है जिसे डिजिटल रूप से रिले या प्रसारित किया जाता है. कांग्रेस नेता ने बताया कि एक बार चीजें फाइनल हो जाएं फिर राहुल कार्यक्रम के जरिये प्रधानमंत्री के मन की बात का जवाब देंगे.' पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने कुछ समय पहले अपना यूट्यूब चैनल लॉन्च किया था, लेकिन लॉकडाउन अवधि के दौरान ही इसे बढ़ावा देना शुरू कर दिया. इसे अब तक 294,000 सब्सक्राइबर हैं.

प्रवासी श्रमिकों के साथ राहुल की बातचीत को 7,52,000 लोगों ने देखा तो वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों प्रोफेसर आशीष झा और कोरोनो वायरस पर प्रोफेसर जोहान गिसेके के साथ उनकी वीडियो बातचीत में 90,000 से अधिक लोग पहुंचे. पीएम मोदी के यूट्यूब चैनल के ट्विटर पर 57.9 मिलियन फॉलोअर्स के अलावा यूट्यूब पर 6.45 मिलियन सब्सक्राइबर हैं और फेसबुक पर 45 मिलियन लाइक्स हैं. ट्विटर पर गांधी के 14.4 मिलियन और फेसबुक पर 3.2 मिलियन फॉलोअर हैं.

कांग्रेस ने चलाया था अभियान
कांग्रेस नेता ने कहा कि 'हम लिंक्डिइन समेत अन्य प्लेटफॉर्म्स पर भी विचार कर रहे हैं.' एक रिपोर्ट के अनुसार पार्टी नेता ने दावा किया कि कोरोनो वायरस-प्रेरित लॉकडाउन के दौरान पार्टी के सोशल मीडिया अभियानों ने जनता से बड़ी प्रतिक्रिया' मिली. 28 मई को 'Speak Up India’ ऑनलाइन अभियान एक बहुत बड़ी सफलता थी. इसमें 5.7 मिलियन से अधिक पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर अपने संदेश अपलोड किए.

बता दें बीते दिनों कांग्रेस द्वारा किसानों, प्रवासी श्रमिकों, दिहाड़ी मजदूर और महामारी से प्रभावित छोटे व्यवसायों को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करने की मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिन भर अभियान चलाया गया था.

कांग्रेस की योजना पर मुंबई के एक पॉडकास्टर अमित वर्मा ने कहा, 'नेताओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे नागरिकों के साथ संवाद करें. पॉडकास्टिंग बातचीत करने का एक शानदार तरीका हो सकता है, लेकिन तभी राजनेता दो-तरफ़ा संवाद करें. उन्हें लोगों के साथ ही नहीं, बल्कि लोगों से बात करने का एक तरीका खोजना होगा.
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