भारत को रूस की ओर से भेजी गई प्राकृतिक गैस की पहली खेप मिल गई है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रूसी जहाज एलएनजी कानो पर पहुंचकर गुजरात के दाहेज पोर्ट पर इसे रिसीव किया. प्रधान ने इस मौके पर कहा कि ऊर्जा लक्ष्य को हासिल करने के लिहाज से यह भारत के लिए स्वर्णिम दिन है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार देश को गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने की दिशा में आगे बढ़ रही है. प्रधान ने कहा कि हमने सबसे पहले कतर से आने वाले एलएनजी के दाम को लेकर नये सिरे से बातचीत की, उसके बाद ऑस्ट्रेलिया की आपूर्ति पर काम किया और अब रूस से नई शर्तों के तहत एलएनजी की आपूर्ति शुरू हुई है.
पेट्रोलियम मंत्री प्रधान ने कहा, ‘भारत 20 साल में रूस से करीब 25 अरब डॉलर की एलएनजी का आयात करेगा.' उन्होंने बताया कि गैजप्रोम के एलएनजी के दाम काफी प्रतिस्पर्धी दर पर उपलब्ध हैं. चार साल पहले हम केवल कतर से ही एलएनजी का आयात कर रहे थे लेकिन आज हमें आस्ट्रेलिया, अमेरिका और रूस से एलएनजी प्राप्त हो रही है.
देश में करीब 40 लाख घरों में गैस कनेक्शन हैं और पेट्रोलियम मंत्रालय ने 2 साल के भीतर इसे बढ़ाकर एक करोड़ करने का लक्ष्य रखा है. अगर ज्यादा से ज्यादा लोग एलपीजी की बजाय पीएनजी का इस्तेमाल करेंगे तो सरकार पर सब्सिडी के तहत पड़ने वाला बोझ कम किया जा सकता है.
ऊर्जा क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि भारत अर्थव्यवस्था में गैस के इस्तेमाल का काफी विस्तार किया जा सकता है. इसके जरिए बैगर कार्बन उत्सर्जन किए ज्यादा बिजली और बेहतर गुणवत्ता की स्टील पैदा की जा सकती है.
रूसी कंपनी गैजप्रोम ने नाइजीरिया से 3400 अरब ब्रिटिश थर्मल यूनिट (टीबीटीयू) गैस की यह पहली खेप भेजी है. बता दें कि भारत दुनिया भर में तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का चौथा सबसे बड़ा खरीदार है और अपने आयात के स्रोत का विस्तार कर रहा है. भारत में पहले से ही अमेरिका से एलएनजी आयात की जाती है.
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