बागपत । माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद सुर्खियों में आई बागपत जेल बारूद के ढेर पर बैठी है। सुए से लेकर पिस्टल तक बैरक में मौजूद है। असलाह ही नहीं बल्कि बदमाशों के पास स्मार्ट फोन हैं जिनसे वह बाहर की दुनिया से अपडेट रहते हैं। हत्या जैसी वारदातों की स्क्रिप्ट भी बदमाश अपने हाथों से तैयार करते हैं। सवाल यही उठता है कि जेल के अंदर हथियार आ कैसे रहे हैं। या तो अधिकारी बदमाशों से घबराते हैं या फिर पर्दे के पीछे मिलीभगत का खेल चल रहा है।

सोमवार को बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद सुरक्षा को लेकर तमाम सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ा सवाल जेल के अंदर हथियार पहुंचने का है। मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद पुलिस ने पिस्टल और दो मैगजीन बरामद की है। हत्या व पिस्टल बरामद होने के बाद भी पुलिस ने किसी बैरक की तलाशी लेना जरूरी नहीं समझा। यदि पुलिस गंभीरता से तलाशी अभियान चलाती है तो जेल की हरेक बैरक में सुए, कट्टन, चाकू, तमंचा, पिस्टल आदि सामान बरामद हो सकता है। मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद पिस्टल मिलने का उदाहरण सबसे ताजा है।

जेल में असलाह होने की शिकायत पर गत दिवस मंडलायुक्त मेरठ के निर्देश पर जेल में छापा मारा गया था तो सुआं, चाकू, कट्टन, गांजा, सिगरेट, स्मार्ट फोन आदि बरामद हुआ था। पुलिस ने उस समय भी हरेक बैरक की गंभीरता से तलाशी नहीं ली थी। सुनील राठी की बैरक के पास ही स्मार्ट फोन बरामद हुआ था। मुलाकात के दौरान कोई भी व्यक्ति जेल में बंद बदमाश को कुछ नहीं दे सकता है चूंकि मुलाकात करने वाले और बदमाश के बीच लोहे की जाली लगी हुई है इसलिए अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुनील राठी को या तो किसी बाहर के व्यक्ति ने यह हथियार जेल के अंदर ही उपलब्ध कराए या फिर जेल का ही कोई कर्मचारी हथियार लेकर सुनील की बैरक तक पहुंचा।

उधर, बागपत जेल में सुनील राठी के अलावा प्रमोद राठी, योगेश भदौड़ा, उधम करनावल आदि कुख्यात बदमाशों के गिरोह के सदस्य बंद हैं, जिनके बीच आए दिन टकराव के आसार बनते रहते हैं। कई बार ऐसा भी हुआ है जब बदमाशों के गुट आपस में भिड़े हैं और जमकर धारदार हथियारों का प्रयोग हुआ है। जेल प्रशासन दूर खड़ा तमाशा देखने के अलावा बदमाशों का कुछ नहीं बिगाड़ सका। एक दिन पूर्व ही मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद गटर में फेंकी गई पिस्टल की खोजबीन के दौरान गटर से हत्या में प्रयुक्त पिस्टल, दो मैगजीन के अलावा कई छोटे नुकीले सामान और भी बरामद हुए हैं।

खूब ऐशो आराम
जेल से जमानत पर आने वाले बदमाश बताते हैं कि बागपत जेल बदमाशों के लिए ऐशो आराम का स्थान बन गया है। यहां पैसा फेंको और तमाशा देखो। जेल में अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक मैनेज होने के लिए तैयार बैठे रहते हैं। सूत्रों की मानें तो बैरक की जमीन को खोदकर सामान दबा दिया जाता है तो कई बैरकों की दीवारों से ईंटों को निकाल रखा है जब भी तलाशी होती है तो सामान को रखकर दीवार में ईंटों को लगा दिया जाता है। इनके अलावा शौचालयों के आसपास भी सामान छुपाया जाता है।

शातिर अपराधी स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करते हैं। जब मन चाहा तो बदमाश वाट्सएप पर ऑनलाइन रहते हैं तो कभी फेसबुक पर अपने दोस्तों को लाइक और उनकी पोस्ट पर प्रतिक्रिया करते देखे जा सकते हैं। खेकड़ा कस्बे का एक बदमाश तो स्मार्ट फोन से वीडियो कॉलिंग कर अपने दोस्तों के साथ अपडेट रहता था। जेल से बदमाश हर रोज कितने ही लोगों को फोन पर डराते-धमकाते हैं। लुहारा गांव के कुख्यात बदमाश अमरपाल ने तो अपने विरोधी को मोबाइल से कई बार समझौता करने के लिए धमकाया। पीडि़त की मानें तो जेल से उसके बाद कितनी ही कॉल आयी।

जेल से लिखते हैं घटनाओं की स्क्रिप्ट
हथियार और स्मार्ट फोन के अलावा बदमाश जेल से ही अपराधिक घटनाओं की स्क्रिप्ट भी लिखते हैं। हत्या, अपहरण, रंगदारी वसूलने का ताना-बाना जेल में ही बदमाशों की बैठक में तैयार होता है। मुन्नी बेगम की हत्या की गई तो आरोपित के पकड़े जाने पर राजफाश हुआ था कि योजना जेल में ही बनी थी। बिनौली के शहजाद पर जानलेवा हमला हुआ तो प्लान बागपत जेल में ही बना था।

टीकरी के नितिन ने रंगदारी के लिए जेल से ही दुकान पर फायरिंग करा दी थी। सुनील राठी ने बागपत जेल में रहते ही रुड़की के प्रतिष्ठित चिकित्सक से लाखों रुपए की रंगदारी मांगी थी, जिसमें सुनील राठी और उसकी मां राजबाला के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।

मुलाकात करने वाले लोग बताते हैं कि जेल कर्मचारियों को खुश कर दो तो फिर चाहे जैसी और कितनी भी देर मुलाकात कर लो। समय सीमा के बाद भी मुलाकातों का सिलसिला जारी रहता है। एसपी जयप्रकाश ने कहा कि जेलों में असलहे पहुंचने का मामला गंभीर है, यह चूक किस स्तर पर हुई इसका पता लगाया जा रहा है। सुरक्षा को और पुख्ता कराया जाएगा
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