नई दिल्ली: आयकर विभाग ने सोमवार को बताया कि पिछले चार साल में करोड़पति आयकर दाताओं की संख्या में 68 फीसदी का इजाफा हुआ है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बताया कि पिछले चार वित्तीय वर्षो के दौरान आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में 80 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सीबीडीटी ने एक विज्ञप्ति में बताया, 'आलोच्य अवधि में एक करोड़ से अधिक आय वाले करदाताओं की संख्या 48,416 से बढ़कर 81,344 हो गई।' इस प्रकार करोड़पति करदाताओं की संख्या में 68 फीसदी का इजाफा हुआ।

सीबीडीटी के अनुसार, आकलन वर्ष 2014-15 में 88,649 करदाताओं (कॉरपोरेट, फर्म, अविभाजित हिंदू परिवार समेत अन्य करदाता) ने अपनी आय एक करोड़ से अधिक घोषित की थी, जबकि आकलन वर्ष 2017-18 में 1,40,139 करतादाओं ने एक करोड़ से अधिक आय का खुलासा किया है, जोकि 60 फीसदी वृद्धि दर्शाता है। आयकर विभाग ने बताया कि पिछले चार साल में रिटर्न दाखिले में 80 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। बयान के अनुसार, वर्ष 2013-14 में जहां 3.79 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए थे, वहां 2017-18 में 6.85 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए हैं। 

सीबीडीटी ने यह भी बताया कि पिछले तीन साल में वेतनभोगी, गैर-वेतनभोगी और कॉरपोरेट करदाताओं की औसत आय में वृद्धि हुई है। वेतनभोगी करदाताओं की संख्या आकलन वर्ष 2014-15 में 1.70 करोड़ थी जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 2.33 करोड़ हो गई। इस तरह तीन साल में वेतनभोगी करदाताओं की तादाद में 37 फीसदी का इजाफा हुआ। वेतनभोगी करदाताओं की औसत आय 5.76 लाख रुपये से 19 फीसदी बढ़कर 6.84 लाख रुपये हो गई। 

गैर-वेतनभोगी करदाताओं की संख्या इन तीन वर्षो में 1.95 करोड़ से बढ़कर 2.33 करोड़ हो गई और उनकी औसत आय 4.11 लाख रुपए से 27 फीसदी बढ़कर 5.23 लाख रुपए हो गई है। कॉरपोरेट करदाताओं की संख्या 2014-15 में 32.28 लाख थी, जो 2017-18 में बढ़कर 49.95 लाख हो गई। इसमें 55 फीसदी का इजाफा हुआ। सीबीडीटी के अध्यक्ष सुशील चंद्र ने कहा कि विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि ईमानदार करदाताओं को सुविधा मिले जबकि करचोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने कहा, 'कर चोरी रोकने के लिए हम कई सारे डाटा एनालिटिक्स और घुसपैठ रोकने के तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। विभाग करदाताओं के लिए ज्यादा से ज्यादा सहूलियत और पारदर्शिता लाने को प्रतिबद्ध है।' सीबीडीटी के अनुसार कर रिटर्न दाखिल करने वाले व्यक्तियों की संख्या भी 2013-14 के 3.31 करोड़ से 65 फीसदी बढ़कर 2017-18 में 5.44 करोड़ हो गई।
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