
पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ''कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ देशद्रोह का आरोप हास्यास्पद है.अगर राजद्रोह का आरोप लगाने में 3 साल और 1200 पेज लगते हैं (सार्वजनिक भाषण के आधार पर), तो यह अकेले ही सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करता है.''
इसके अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा, जांच टीम में शामिल कितने लोग भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए और इस धारा पर कानून से अवगत हैं या उन्होंने इसे पढ़ा भी है?
गौरतलब है कि पुलिस ने जेएनयू परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने के मामले में यह चार्जशीट दाखिल की है. यह कार्यक्रम संसद हमला मामले के मास्टरमाइंड अफजल गुरू को फांसी की बरसी पर नौ फरवरी 2016 को आयोजित किया गया था. आरोपपत्र में सीसीटीवी के फुटेज, मोबाइल फोन के फुटेज और दस्तावेजी प्रमाण भी हैं.
पुलिस का आरोप है कि कन्हैया कुमार ने भीड़ को भारत विरोधी नारे लगाने के लिए उकसाया था. मामले में कश्मीरी छात्रों आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट, बशरत के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किए गए. इन सभी कश्मीरी छात्रों से भी पूछताछ की जा चुकी है, लेकिन इन्हें बिना गिरफ्तारी के चार्जशीट किया गया है. इनके खिलाफ चार्जशीट में 124A (देशद्रोह), 323, 465, 471, 143, 149, 147, 120B जैसी धाराएं लगाई गई हैं.
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