नई दिल्ली। लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में लंबित अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर सुनवाई की उम्मीद जगी है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में मामला लगा है जिसमें मुख्य अपीलों पर सुनवाई की तिथि तय हो सकती है। क्योंकि पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने मामले को जनवरी के पहले सप्ताह में तारीख तय करने के लिए लगाने का आदेश दिया था। इसके अलावा एक नयी जनहित याचिका भी सुनवाई के लिए लगी है जिसमें अयोध्या मामले की अपीलों पर तय समय में सुनवाई किये जाने की मांग की गई है। साथ ही कहा गया है कि कोर्ट दिशानिर्देश तय करे कि अगर किसी मामले की सुनवाई स्थगित होती है या याचिका खारिज होती है तो कारण दर्ज किये जाएंगे।

रामलला सहित 13 पक्षकारों ने बराबर हिस्सों में भूमि बांटने के हाईकोर्ट के आदेश को दी है चुनौती
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में फैसला सुनाते हुए जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। इस फैसले को रामलला सहित सभी पक्षकारों ने 13 अपीलों के जरिये सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से फिलहाल मामले में यथास्थिति कायम है।
शुक्रवार को होने वाली सुनवाई पर सबकी निगाहें लगी हैं क्योंकि हाल ही में प्रधानमंत्री ने एक साक्षात्कार में कहा था कि मामला कोर्ट में लंबित रहने तक अयोध्या मसले पर अध्यादेश नहीं लाया जाएगा। दूसरी ओर संघ परिवार और साधू समाज सुनवाई में हो रही देरी के आधार पर अयोध्या में मंदिर बनवाने के लिए अध्यादेश लाने की मांग पर अड़ा है।

शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष राम जन्मभूमि विवाद से जुड़ी कुल 15 याचिकाएं लगी हैं। जिसमें से 13 हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पक्षकारों की वे अपीलें है जिन्हें कोर्ट विचारार्थ स्वीकार कर चुका है और अब उनकी मेरिट पर सुनवाई होनी है। एक याचिका शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड की है। जिसने अयोध्या में मंदिर बनवाने के लिए हिन्दुओं का समर्थन किया है हालांकि वह याचिका अभी सिर्फ प्रारंभिक सुनवाई के स्तर पर ही है।
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