श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों ने सोमवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को चेताया कि इस सीमाई राज्य के मूल निवासियों को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35-ए में यदि किसी तरह का बदलाव किया गया तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे। पीडीपी प्रमुख एवं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अनुच्छेद 35-ए में किसी तरह का बदलाव किया गया तो राज्य के लोग राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा की बजाय किसी और झंडे को भी थाम सकते हैं।

राजनीतिक पार्टियों ने केंद्र को यह चेतावनी ऐसे समय में दी जब उच्चतम न्यायालय इस हफ्ते अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने वाला है। यह अनुच्छेद राज्य के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार देता है। न्यायालय इस मामले में 26 फरवरी से 28 फरवरी के बीच किसी भी दिन सुनवाई कर सकता है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाल ही में शीर्ष अदालत से विभिन्न आधारों पर याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करने की दरख्वास्त की थी। एक आधार यह भी दिया गया था कि राज्य में कोई निर्वाचित सरकार नहीं है।

शीर्ष अदालत ने याचिकाओं पर सुनवाई इस साल जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी थी। तब केंद्र और राज्य सरकार ने कहा था कि वहां दिसंबर तक स्थानीय निकायों के चुनाव चलेंगे। भाजपा को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने कड़े बयान जारी कर अनुच्छेद 35-ए को कमजोर करने या इसमें संशोधन करने के केंद्र के किसी भी कदम का विरोध किया। 

महबूबा ने पत्रकारों को बताया, ‘मैं (एनसी अध्यक्ष) उमर अब्दुल्ला के संपर्क में हूं। हमारे पास एक ऐसी रणनीति होनी चाहिए ताकि अनुच्छेद 35-ए पर कोई हमला नहीं हो। और यदि हमला होता है तो मैं नहीं जानती कि कश्मीर के लोग अपने हाथों में तिरंगे के अलावा कौन सा झंडा थाम लेंगे और यदि उन्होंने ऐसा किया तो फिर हमें मत कहना कि हमने आपको (केंद्र को) चेतावनी नहीं दी थी। जम्मू-कश्मीर के लोगों को मजबूर न करें।’
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