नई दिल्ली I विवादित राफेल सौदे को लेकर आज संसद में कैग की रिपोर्ट पेश किए जाने की संभावना है. लेकिन इस बीच नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) राजीव महर्षि को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में नई जंग छिड़ गई है. कांग्रेस ने हितों के टकराव का आरोप लगाते हुए राजीव महर्षि से अनुरोध किया कि वह 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के करार की ऑडिट प्रक्रिया से खुद को अलग कर लें, क्योंकि तत्कालीन वित्त सचिव के तौर पर वह इस वार्ता का हिस्सा थे. वहीं केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने भी पलटवार किया है और कहा कि कांग्रेस झूठ के आधार पर संस्था पर इस तरह के आरोप लगा रही है.
जेटली ने कहा कि कांग्रेस 'झूठ' के आधार पर कैग पर आक्षेप लगा रही है. एक के बाद एक कई ट्वीट करके जेटली ने कहा, संस्थानों को बर्बाद करने वालों द्वारा झूठ को आधार बनाकर कैग की संस्था पर एक और हमला. दस साल सरकार में रहने के बावजूद यूपीए सरकार के पूर्व मंत्रियों को अब तक नहीं पता कि वित्त सचिव महज एक पद है जो वित्त मंत्रालय के वरिष्ठतम सचिव को दिया जाता है.'
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा था कि महर्षि 24 अक्टूबर 2014 से लेकर 30 अगस्त 2015 तक वित्त सचिव थे. इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अप्रैल 2015 को पेरिस गए और राफेल करार पर दस्तखत की घोषणा की. उन्होंने कहा, 'वित्त मंत्रालय इन वार्ताओं में अहम भूमिका निभाता है. अब स्पष्ट है कि राफेल करार राजीव महर्षि के इस कार्यकाल में हुआ. अब वह CAG के पद पर हैं. हमने 19 सितंबर 2018 और चार अक्टूबर 2018 को उनसे मुलाकात की. हमने उन्हें घोटाले के बारे में बताया. हमने उन्हें बताया कि करार की जांच होनी चाहिए क्योंकि यह भ्रष्ट तरीके से हुआ. लेकिन वह अपने ही खिलाफ कैसे जांच करा सकते हैं?'
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