नई दिल्ली I राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत राजस्थान के उदयपुर दौरे पर हैं. इस दौरान राम मंदिर के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 'राम का काम करना है तो राम का काम हो कर रहेगा.'

आरएसएस शुरू से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की पैरोकार रही है. इसके लिए अखिल भारतीय स्तर पर कई आंदोलन भी चलाए गए हैं. यह संस्था मौजूदा बीजेपी सरकार पर दबाव भी बनाती रही है ताकि किसी उचित फैसले के तहत राम मंदिर का निर्माण हो सके. हालांकि केंद्र की मोदी सरकार यह मसला अदालती फैसले के जरिये निबटाना चाहती है. अयोध्या की विवादित जमीन पर मंदिर बने या नहीं, फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

गौरतलब है कि उदयपुर पहुंचे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को बड़गांव इलाके में प्रताप गौरव केंद्र में नवनिर्मित भक्तिधाम प्राणप्रतिष्ठा और जन समर्पण कार्यक्रम में शिरकत की. इस मौके पर संघ प्रमुख भागवत और रामकथा वाचक संत मोरारी बापू ने महाराणा प्रताप के शौर्य, वीरता, पराक्रम और बलिदान को याद कर उनसे प्रेरणा लेने की बात कही. यहीं नहीं, दोनों ने प्रताप गौरव केंद्र के निर्माण को भविष्य के लिए शुभ संकेत बताते हुए राष्ट्र निर्माण के लिए युवाओं से सिर्फ राम नाम हीं नहीं जपने, बल्कि राम के लिए काम करने का भी आह्वान किया.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि इतिहास कहता है कि जिस देश के लोग सजग, शीलवान, सक्रिय और बलवान हों, उस देश का भाग्य निरंतर आगे बढ़ता है. संघ प्रमुख ने कहा कि हमेश चर्चा होती है कि भारत विश्वशक्ति बनेगा लेकिन उससे पहले हमारे पास एक डर का एक डंडा अवश्य होना चाहिए, तभी दुनिया मानेगी. मोहन भागवत ने मोरारी बापू के संबोधन को याद दिलाते हुए कहा कि राम का काम सभी को करना है और राम का काम होकर रहेगा.

आपको बता दें कि मार्च महीने में ग्वालियर में आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन विदसीय बैठक हुई थी जिसमें राम मंदिर निर्माण का मार्ग जल्द प्रशस्त किए जाने पर जोर दिया गया था. प्रतिनिधि सभा की बैठक के पहले दिन वक्ताओं ने राम मंदिर निर्माण की पैरवी करते हुए सभी बाधाओं को दूर किए जाने के लिए जरूरी कदम उठाने पर जोर दिया. सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि राम मंदिर मामले में संबंधित पक्ष अदालत में अपनी बात रख चुके हैं. अब इसे सुप्रीम कोर्ट को देखना है. प्रतिनिधिसभा की बैठक में सुप्रीम कोर्ट की पहल से संघ को लगता है कि मंदिर निर्माण में आ रही बाधाओं को जल्द दूर किया जा सकेगा और मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होगा.
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