नई दिल्ली : अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ भारत के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत करने के लिए मंगलवार को यहां पहुंचे। लोकसभा चुनाव के बाद यह किसी भी देश से होने वाली पहली उच्चस्तरीय यात्रा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर और पोम्पिओ बुधवार को भारत द्वारा रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद, आतंकवाद, एच1बी वीजा, व्यापार और ईरान से तेल खरीद पर अमेरिकी प्रतिबंधों से उत्पन्न होने वाली स्थिति सहित विभिन्न मुद्दों पर बातचीत करेंगे। 

पोम्पिओ की यह यात्रा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर होने वाली बैठक से पहले हो रही है। जी-20 शिखर सम्मेलन 28-29 जून को जापान के ओसाका में होने वाला है। पोम्पिओ जयशंकर के साथ बैठक के अलावा भारतीय विदेश मंत्री की तरफ से आयोजित भोज में भी शामिल होंगे। पोम्पिओ इसके अलावा बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात भी करेंगे। पोम्पिओ भारतीय और अमेरिकी उद्योग जगत के लोगों से मिलेंगे और यहां स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में भाषण देंगे।

उधर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को गुजरात के गांधीनगर में कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के साथ चर्चा के दौरान भारत व्यापार के मुद्दों पर सहमति बनाने की कोशिश करेगा। भारत सरकार और अमेरिकी विदेश मंत्री के बीच बुधवार को आतंकवाद, अफगानिस्तान, हिंद प्रशांत, ईरान, व्यापार मुद्दे और बढ़ते द्विपक्षीय रक्षा संबंधों पर चर्चा होगी।  विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुजरात से राज्यसभा के लिए पर्चा दाखिल करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘हम सकारात्मक रुख के साथ मिलने जा रहे हैं।’

जयशंकर ने कहा, ‘माइक पोम्पिओ के साथ बैठक महत्वपूर्ण होगी। देश में आम चुनाव संपन्न होने के बाद माइक पोम्पिओ पहले ऐसे अमेरिकी मंत्री हैं जो भारत आ रहे हैं । हम निश्चित तौर पर दोनों देशों के बीच व्यापार से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करेंगे।’ गुजरात भाजपा कार्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘दोनों देशों के अपने हित हैं, और इस वजह से कुछ टकराव स्वाभाविक है। हम कूटनीति का इस्तेमाल कर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। हम अमेरिका से सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ चर्चा करेंगे।’’

अमेरिका और ईरान के बीच तनावों की पृष्ठभूमि में भारत के रुख के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि यह राष्ट्रीय हित के आधार पर तय किया जाएगा। विदेश मंत्री ने कहा, ‘कई अंतरराष्ट्रीय मसले हैं जिनकी प्रकृति कठिन है और अमेरिका ईरान का मुद्दा भी ऐसा ही है। हमारे संबंध अमेरिका के साथ हैं और ईरान के साथ भी हैं। हमारे संबंध क्षेत्र के अन्य देशों के साथ भी हैं ।’ उन्होंने कहा, ‘मैं जो कह सकता हूं वह यह कि हम वही काम करेंगे जो हमारे राष्ट्रहित में होगा और वही मापदंड होगा।’
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