नई दिल्ली: वित्तवर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में भारत की विकास दर 5 फीसदी पर पहुंच गई है। पिछली तिमाही में ये 5.8 फीसदी थी। वहीं पिछले साल की तीसरी तिमाही में विकास दर 6.6 फीसदी थी। इस साल की पहली तिमाही में जीवीए 4.9 फीसदी रहा।
विकास दर पिछले 6 साल में सबसे कम है। विकास दर में पिछली पांच तिमाही से लगातार गिरावट आ रही है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर में ग्रोथ 7.1 फीसदी से घटकर  5.7 फीसदी रही है। वहीं फाइनेंशियल और रियल एस्टेट सेक्टर में  5.9 फीसदी की ग्रोथ रही।
माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ 2.7 फीसदी रही है। ट्रेड और होटल सेक्टर की ग्रोथ पहली तिमाही में 7.1 फीसदी रही है। इसमें थोड़ी बढ़ोतरी हुई है। इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर ग्रोथ 4.3 फीसदी से बढ़कर 8.6 फीसदी हो गई।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 3.1 फीसदी से घटकर 0.6 फीसदी हो गई है। पिछली तिमाही में जीवीए 5.7 फीसदी था जो अब घटकर 4.9 फीसदी हो गया है। विकास दर में गिरावट से ब्याज दर में कटौती की आशंका और बढ़ गई है।
वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में इंडस्ट्रीज की ग्रोथ 4.2 फीसदी से घटकर 2.74 फीसदी पर पहुंच गई है। कृषि सेक्टर की ग्रोथ में बढ़ोतरी हुई है। कृषि सेक्टर की ग्रोथ निगेटिव 0.1 फीसदी से बढ़कर 2 फीसदी हो गई है। पिछले साल कृषि सेक्टर की ग्रोथ इसी तिमाही में 5.1 फीसदी थी।
जीडीपी के इन आंकड़ों से सरकार की चिंता बढ़ेगी। वहीं रिजर्व बैंक पर ग्रोथ को पटरी पर लाने के लिए ब्याज दर घटाने का दबाव बढ़ेगा। पिछली क्रेडिट पॉलिसी में रिजर्व बैंक ने 0.35 फीसदी रेपो रेट घटाया था।

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