नई दिल्‍ली : कश्‍मीर में आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए उठाए गए निर्णायक कदमों के बाद अब केंद्र सरकार का ध्‍यान नक्‍सली हिंसा से निपटने पर है। हालांकि नक्‍सल प्रभावित इलाकों में पहले से ही सुरक्षा अभियान जारी हैं, पर सरकार इसे नई धार देने की योजना बना रही है। इसी के तहत सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस संबंध में एक उच्‍च स्‍तरीय बैठक की अध्‍यक्षता करेंगे, जो उनके गृह मंत्रालय का प्रभार संभालने के बाद इस तरह की पहली बैठक है। इस बैठक में नक्‍सल प्रभावित 10 राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों एवं उनके प्रतिनिधियों के शामिल होने की भी संभावना है।
गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, अमित शाह इस बैठक में नक्सलियों के खिलाफ पहले से जारी अभियानों और नक्‍सल प्रभावित इलाकों में विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा करेंगे। इस बैठक में नक्सली हिंसा से प्रभावित 10 राज्यों- छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्रियों और उनके प्रतिनिधियों के शामिल होने की संभावना है। बैठक में अर्धसैनिक बलों और गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी भी शामिल होंगे।
यह शाह के गृह मंत्रालय का प्रभार संभालने के बाद इस तरह की पहली बैठक होगी। शाह ने तीन महीने पहले ही गृह मंत्रालय का कार्यकार संभाला है। केंद्रीय गृह राज्‍य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने पिछले महीने ही कहा था कि सरकार की नीतियों के कारण नक्‍सली हिंसा में कमी आई है और ऐसी घटनाएं लगातार कम हो रही हैं।
गृह मंत्रालय के आंकड़ों में भी देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में नक्‍सली हिंसा में कमी आने की बात कही गई है। आंकड़ों के अनुसार, 2014-18 के दौरान नक्‍सली हिंसा के 4,969 मामले सामने आए, जो 2009-13 के दौरान हुई नक्सली हिंसा की 8,782 वारदातों के मुकाबले 43.4 प्रतिशत कम है। इसी तरह नक्‍सल हिंसा में सुरक्षाकर्मियों व अन्य हताहतों की संख्‍या में भी कमी आई है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार,  2014-18 में नक्‍सली हिंसा में सुरक्षा बलों के कर्मचारियों सहित 1,321 लोगों की जान गई, जो 2009-13 के दौरान जान गंवाने वालों की तुलना में 60.4 प्रतिशत तक कम है।
आंकड़ों में यह भी कहा गया है कि 2009 से 2018 के बीच सुरक्षा बलों के अभियान में देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में 1,400 नक्सली मारे गए, जबकि इस साल यानी 2019 के शुरुआती 5 महीनों (जनवरी-मई) में नक्सल हिंसा की 310 घटनाएं हुईं, जिसमें 88 लोगों की जान गई।
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