नई दिल्ली I अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद अब फैसले का इंतजार है. फैसला लिखने को लेकर गुरुवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई सहित पांच जजों ने मीटिंग की.

सूत्रों के मुताबिक, चर्चा इस बात पर हुई कि समय कम है और जिम्मेदारी भी बड़ी है तो सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए समय से फैसला कैसे लिखा और सुनाया जाए.

बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को किस रूप में लिया जाए. जजों ने मुकदमे में पक्षकारों के दावों और फैसले को लेकर अपने-अपने दृष्टिकोण को लेकर भी चर्चा की.

17 नवंबर तक आएगा फैसला

बैठक में मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट और फैसले की रूपरेखा पर भी चर्चा हुई. बता दें कि मध्यस्थता समिति की सीलबंद रिपोर्ट आज ही पांचों जजों को मिली है.

सूत्रों के मुताबिक मध्यस्थता समिति ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कुछ पक्षकारों के सुलह प्रस्तावों का ज़िक्र किया है . वहीं जजों की मीटिंग कई दौर में होगी. आज की मीटिंग से ये तय हो गया कि फैसला 17 नवंबर तक आ जाएगा. सूत्रों ने ये भी संकेत दिए हैं कि मुमकिन है 10 से 15  नवंबर के बीच ही फैसला आ जाए.

केस वापस लेने की खबरें गलत

गौरतलब है कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने अयोध्या मामले को वापस लेने की खबरों को सिरे से खारिज किया है. लखनऊ में आजतक से खास बातचीत में जुफर फारुकी ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट में ऐसा कोई आवेदन नहीं दिया है, जिसमें यह कहा गया हो कि हम केस को वापस कर रहे हैं. जहां तक मध्यस्थता पैनल का सवाल है, तो जो हमने मध्यस्थता पैनल से कहा है, वह जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं.
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