नई दिल्ली. आयकर विभाग ने कहा है कि 2 करोड़ रुपये या उससे अधिक की वार्षिक आय वाले करदाताओं  को इस बार अपना आयकर विवरण जमा कराने से पहले वित्तीय वर्ष 2019-20 के बढ़े हुए सरचार्ज के मुताबिक बकाया टैक्स जमा कराना होगा. यह आदेश उन लोगों के लिए है, जिन्होंने 2019-20 में आय के स्रोत पर कर की कटौती (TDS) की गणना करते समय बढ़े हुए सरचार्ज के मुताबिक कर नहीं चुकाया है. विभाग ने स्पष्ट किया है चूंकि संबंधित वित्त वर्ष का बजट जुलाई में पेश किया गया था. इसमें सरचार्ज की बढ़ी दरें वर्ष के शुरू से लागू मानी गई थी, इसलिए करदाताओं (Taxpayers) के इस बकायेृ पर ब्याज नहीं लगाया जाएगा. लेकिन ब्याज छूट के लिए शर्त यह है कि करदाता ने पुरानी दर पर टीडीएस/टीसीएस (TDS/TCS) सही काटा हो और उसे सही समय के अंदर जमा करा दिया हो.

इतना बढ़ा था सरचार्ज
वर्ष 2019-20 का बजट पांच जुलाई को प्रस्तुत किया गया था. उसमें 2 से 5 करोड़ रुपये के बीच की आय वालों के लिए कर सरचार्ज बढ़ा कर 25 प्रतिशत कर दिया गया. इसी तरह 5 करोड़ रुपये से ऊपर की आय वालों पर सरचार्ज की दर 37 प्रतिशत कर दी गई थी. पहले सरचार्ज की दर 15 प्रतिशत थी और बढ़ी दरों को पहली अप्रैल 2019 से लागू माना गया है.

वर्ष 2019 में मई में मोदी सरकार के दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद जुलाई में पूर्ण बजट पेश किया गया. वित्त विधेयक जुलाई में पारित हुआ. इससे पहले फरवरी में आम चुनाव से पहले अंतरिम बजट पेश किया गया था. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक स्पष्टीकरण में कहा है कि उसे ऐसे कई मामले नजर में आए हैं, जहां करदाताओं ने 1 अप्रैल से 4 जुलाई, 2019 के बीच के लेनदेन पर टीडीएस/ टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) की कटौती सरचार्ज की बढ़ी हुई दर से नहीं की है. इसलिए उन्होंने चूक की है. बहरहाल विभाग ने उनकी कठिनाई को दूर करने के लिए कुछ राहत दी है, जिसमें उन्हें डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा और ब्याज भी नहीं लिया जाएगा. बशर्ते कि ऐसे करदाता तय शर्तो के अनुरूप बकाया कर रिटर्न दाखिल करने से पहले चुका दें.

नया टैक्स सिस्टम चुनने के लिए अपनी कंपनी को बताएं
इनकम टैक्स विभाग ने सोमवार एक सर्कुलर जारी कर जानकरी दी है कि अगर कोई कर्मचारी नई टैक्स व्यवस्था को अपनाना चाहता है तो इस बारे में अपने नियोक्ता को पहले से ही जानकारी देनी होगी. इससे उन्हें सैलरी पेमेंट के दौरान इसी आधार पर टैक्स कटौती की जा सके. वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश किए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए वैकल्पिक टैक्स व्यवस्था का ऐलान किया था.
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