महाराष्ट्र के नासिक में प्याज उत्पादक निर्य़ात शुल्क बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं. उनके समर्थन में खड़ी विपक्षी पार्टी एनसीपी की नेता सुप्रिया सुले ने राज्य सरकार को इस मुद्दे पर घेरा.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की नेता सुप्रिया सुले ने प्याज पर लगाए गए निर्यात शुल्क को लेकर राज्य में जारी आंदोलन के लिए गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा. सुले ने कहा कि गठबंधन सरकार 'पूरी तरह से नीतिगत जड़ता' का प्रदर्शन कर रही है और इसमें समन्वय का अभाव है. नासिक (Nashik) में किसान और विक्रेता सोमवार से केंद्र सरकार के प्याज पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाने के फैसले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा 19 अगस्त को लिया गया यह निर्णय 31 दिसंबर तक के लिए है.
एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं पिछले चार महीनों से सोशल मीडिया के जरिए (केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री) पीयूष गोयल के साथ प्याज का मुद्दा उठा रही हूं. मैंने उन्हें बताया कि देश में प्याज का अत्यधिक उत्पादन हुआ है और दुनिया के कुछ हिस्सों में इसकी कमी है. मैंने प्याज निर्यात के अवसर के बारे में बात की और (केंद्र से) एक स्पष्ट नीति लाने का अनुरोध किया, लेकिन दुर्भाग्य से, कुछ नहीं किया गया.’’
राज्य सरकार में समन्वय की कमी- सुले
एनसीपी नेता ने दावा किया, ‘‘एकनाथ शिंदे की प्रदेश सरकार भ्रमित है, क्योंकि इसके कृषि मंत्री इस मुद्दे पर गोयल से मिलने दिल्ली गए थे, लेकिन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट कर ‘कुछ अलग’ बताया.’’ बारामती से लोकसभा सदस्य सुले ने कहा, ‘‘इससे जाहिर होता है कि समन्वय की कमी है. राज्य सरकार में पूरी तरह से नीतिगत जड़ता है.’’
अजित पवार को लेकर सुले ने कही यह बात
यह पूछे जाने पर कि वह सरकार में नीतिगत जड़ता की बात कर रही हैं जबकि इसमें अजित पवार भी शामिल हैं, जो एक अच्छे प्रशासक माने जाते हैं, सुले ने कहा कि एक व्यक्ति के काम करने में और पूरी सरकार की नीतिगत जड़ता में काफी अंतर है. आगामी त्योहारी सीजन के मद्देनजर बढ़ती कीमतों के संकेतों के बीच केंद्र सरकार ने 19 अगस्त को प्याज की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए इसके निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगा दिया था.
किसानों को डर कि बेहद कम हो जाएंगी प्याज की कीमत
निर्यात शुल्क 31 दिसंबर तक लागू रहेगा. यह पहला मौका है जब प्याज पर निर्यात शुल्क लगाया गया है. इस बीच किसानों ने दावा किया है कि सरकार के इस कदम से घरेलू बाजार में प्याज की बहुतायत हो जाएगी, जिससे कीमतें गिर जाएंगी और किसानों को भारी नुकसान होगा.
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