मनोज जरांगे ने दावा करते हुए कहा, यह साबित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध हैं कि मराठवाड़ा क्षेत्र में मराठा समुदाय को अतीत में कुनबी (ओबीसी) के रूप में मान्यता दी गई थी.



मराठा आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जरांगे ने बुधवार को दावा किया कि निजाम शासन की पुरानी सूची के अनुसार कुछ दस्तावेजों में महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को ओबीसी के रूप में मान्यता दी गई है, जिसके आधार पर सरकार समुदाय को आरक्षण देने वाला अध्यादेश जारी कर सकती है. जरांगे आरक्षण की मांग को लेकर 29 अगस्त से भूख हड़ताल पर हैं.

मनोज जरांगे ने किया ये दावा
उन्होंने जालना जिले में पत्रकारों से कहा, “यह साबित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध हैं कि मराठवाड़ा क्षेत्र में मराठा समुदाय को अतीत में कुनबी (ओबीसी) के रूप में मान्यता दी गई थी. आजादी से पहले, मराठवाड़ा क्षेत्र हैदराबाद के निजाम (वर्तमान में तेलंगाना राज्य) के अधीन शासन का हिस्सा था. पुरानी सूची में उल्लेख है कि मराठा और कुनबी एक ही हैं. ”महाराष्ट्र सरकार ने 2018 में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) के तहत मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण प्रदान किया था.

क्या बोले मनोज जरांगे?
हालांकि मई 2021 में उच्चतम न्यायालय ने आरक्षण को लेकर 50 प्रतिशत की सीमा और अन्य कारणों का हवाला देते हुए इसे रद्द कर दिया था. जरांगे ने कहा,  “यह देश का पहला ऐसा मामला है जहां प्रदर्शनकारियों के पास सारे सबूत हैं, लेकिन महाराष्ट्र सरकार उसके आधार पर कोई फैसला नहीं ले रही है. राज्य को आरक्षण के अध्ययन के लिए नई समितियों के गठन पर अपना कीमती समय बर्बाद नहीं करना चाहिए. हम कुछ कानूनी विशेषज्ञों की सिफारिश करने के लिए तैयार हैं ताकि सरकार बिना किसी देरी के निर्णय ले सके.” बता दें, महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर कई दिनों से मनोज जरांगे भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं.

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