पुलिस ने फोन टैपिंग मामले में IPS रश्मि शुक्ला के खिलाफ हाई कोर्ट में सी समरी रिपोर्ट पेश की थी, जिसके बाद कोर्ट ने मामले को रद्द कर दिया था. नाना पटोने ने इसको लेकर बयान दिया है.



कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने शुक्रवार (22 सितंबर) को कहा कि राज्य की सत्ता में आने पर उनकी पार्टी भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की अधिकारी रश्मि शुक्ला के खिलाफ फोन टैपिंग के आरोपों की दोबारा जांच कराएगी. बंबई हाई कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में कथित तौर पर गलत तरीके से फोन टैपिंग के लिए आईपीएस रश्मि शुक्ला के खिलाफ दर्ज दो प्राथमिकियों को रद्द कर दिया था. 

भारतीय पुलिस सेवा में पदस्थ रश्मि शुक्ला के खिलाफ कथित तौर पर अवैध तरीके से फोन टैपिंग के लिए यह दो प्राथमिकियां दक्षिण मुंबई के पुणे और कोलाबा में दर्ज की गईं थीं. ये प्राथमिकियां उस समय दर्ज की गई थीं, जब महाराष्ट्र में बीजेपी की अगुआवाई वाली देवेंद्र फडणवीस की सरकार थी. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, 'राज्य सरकार ने अदालत में रिपोर्ट दाखिल कर पुलिस अधिकारी को क्लीन चिट दे दी है, लेकिन जब हम सत्ता में आएंगे तो हम मामले की फिर से जांच करेंगे.'

नाना पटोले ने किया ये दावा
क्लीन चिट देने को लेकर नाना पटोले ने कहा कि अदालत ने पुलिस द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट पर जवाब देते हुए क्लीन चिट दी. हम खुलासा करेंगे कि ये कौन से पुलिस अधिकारी थे, जिन्होंने क्लीन चिट दी. उन्होंने विश्वास जताया कि महाराष्ट्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आएगी. राज्य में 2024 के अंत में विधानसभा चुनाव होंगे. वर्तमान में महाराष्ट्र में बीजेपी, एनसीपी का अजित पवार गुट और शिवसेना (शिंदे गुट) की सरकार है.

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, आईपीएस रश्मि शुक्ला पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले का फोन टैप करने के मामले पुणे में जबकि एकनाथ खडसे और राज्यसभा सांसद संजय राउत का फोन टैप करने के मामले में मुंबई में एफआईआर दर्ज कराया गया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने विपक्षी पार्टी के नेताओं के गैर कानूनी ढंग से फोन टैप किये थे. महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान उन पर रश्मि शुक्ला पर मामला दर्ज किया था. 

फोन टैपिंग मामले में जांच के बाद रश्मि शुक्ला के खिलाफ पुलिस ने महाराष्ट्र हाई कोर्ट में सी C-Summary Report दाखिल किया था. सी समरी कोर्ट में पुलिस तब दाखिल करती है, जब आरोप पर गलत तथ्यों के आधार पर मामला दर्ज किया गया या संबंधित घटना हुई नहीं या सिविल नेचर की हो. ऐसी स्थिति में पुलिस कोर्ट में क्लोजिंग रिपोर्ट पेश करती है. पुलिस की सी समरी रिपोर्ट के बाद हाई कोर्ट की जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस शर्मिला देशमुख की बेंच इन मामलों को रद्द कर दिया था.

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