छत्रपति शिवाजी महाराज का वाघ नख ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अधिकारी जेम्स ग्रांट के पास था, जिसे बाद में उसके एक वंशज ने लंदन के संग्रहालय को दे दिया था.



 महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों ने लंदन दौरे पर एक एमओयू को साइन किया है जिसके तहत छत्रपति शिवाजी महाराज  से जुड़ी एक अनमोल वस्तु भारत लाई जाएगी. छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रसिद्ध ‘वाघ नख’ (बाघ के पंजे वाला खंजर) को तीन साल के लिए ब्रिटेन के संग्रहालय से महाराष्ट्र वापस लाया जाएगा. दोनों देश के बीच इसको लेकर एक एमओयू पर हस्ताक्षर कर दिए गए हैं. राज्य के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने लंदर दौरे पर एमओयू पर दस्तखत किए.

मुनगंटीवार ने  ब्रिटेन रवाना होने से पहले बताया था, ‘‘छत्रपति शिवाजी महाराज के वाघ नख को तीन साल की अवधि के लिए भारत  वापस लाने की खातिर राज्य सरकार और लंदन स्थित विक्टोरिया एंड अल्बर्ट संग्रहालय मंगलवार को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे.’’ उन्होंने कहा था कि समझौते पर हस्ताक्षर के बाद वाघ नख को जल्द ही महाराष्ट्र वापस लाए जाने की संभावना है. शिवाजी महाराज ने 1659 में बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को मारने के लिए वाघ नख का इस्तेमाल किया था. बता दें कि  

शिवाजी ने वाघ नख से अफजल खान को मार गिराया था
ऐसा माना जाता है कि यह ‘वाघ नख’ छत्रपति शिवाजी महाराज का था.  वर्ष 1659 में युद्ध के दौरान महान मराठा नेता ने अपने हाथ में छुपाए हुए वाघ नख से अपने प्रतिद्वंद्वी और बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को मार गिराया था. यह माना जाता है कि यह वाघ नख ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अधिकारी जेम्स ग्रांट डफ के कब्जे में आ गया, जिन्हें वर्ष 1818 में सतारा राज्य का राजनीतिक एजेंट नियुक्त किया गया था. इस वाघ नख को डफ के एक वंशज ने संग्रहालय को उपहार में दिया था.  

संग्राहलाय में वाघ नख को लेकर लिखी गई है यह बात
उधर, विक्टोरिया एंड अल्बर्ट संग्रहालय के अनुसार, डफ के स्कॉटलैंड लौटने के बाद वाघ नख को एक ‘फिटेड केस’ में रखा गया. ‘फिटेड केस’ पर लिखा है : ‘‘शिवाजी का ‘वाघ नख’ जिससे उन्होंने मुगल सेनापति को मार गिराया. इसे ईडन के जेम्स ग्रांट डफ को मराठों के पेशवा द्वारा तब दिया गया था, जब वह सतारा के राजनीतिक एजेंट थे.’’

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