पुलिस ने कई बार रेहड़ी लगाकर बिक्री करने वाले शख्स से वहां से हटने को कहा, ताकि रास्ता साफ हो जाए और लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो. हालांकि, वह पुलिसकर्मियों की बात को नजरअंदाज करता रहा और उसे मानने से इनकार कर दिया. उसने अपनी मजबूरी बताई और वहां से चला गया. इसके बाद पुलिस ने उसका नाम-पता पूछकर नए कानून बीएनएस की धारा 285 के तहत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. यह इस कानून के तहत दर्ज की गई पहली एफआईआर है.
तीन नए आपराधिक कानूनों ने किन पुराने कानूनों की जगह ली?
दरअसल, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई से देशभर में लागू हो गए हैं. इन्हें तीन नए आपराधिक कानूनों के तौर पर जाना जा रहा है. इन कानूनों ने ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है. भारतीय दंड संहिता 163 साल पुराना कानून था, जिसकी जगह अब बीएनएस ने ले ली है. बीएनएस में धोखाधड़ी से लेकर संगठित अपराध के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है.
भारतीय न्याय संहिता में क्या है खास?
भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस में 358 सेक्शन हैं, जबकि आईपीसी में 511 सेक्शन हुआ करते थे. इसमें 21 नए तरह के अपराधों को शामिल किया गया है. 41 अपराधों के लिए कारावास की सजा की अवधि को बढ़ाया गया है. 82 अपराधों में जुर्माने की राशि को भी बढ़ाया गया है. बीएनएस में 25 ऐसे अपराध हैं, जिसमें कम से कम सजा का प्रावधान किया गया है. नए कानून में 6 ऐसे अपराध हैं, जिनके लिए सामाजिक सेवा का दंड दिया जाएगा. साथ ही अपराध के 19 सेक्शंस को हटा दिया गया है.
हालांकि, यहां गौर करने वाली बात ये है कि जिन अपराधों में मुकदमों को 1 जुलाई से पहले दर्ज किया गया है, उनमें कार्रवाई आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत ही होगी. केंद्र सरकार ने फरवरी में ही गजट नोटिफिकेशन जारी कर तीनों नए आपराधिक कानूनों को 1 जुलाई से लागू करने का ऐलान किया था.
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