अलीगढ़ जनपद 9 अक्टूबर 2024 : समावेशी शिक्षा के अंतर्गत दिव्यांग विद्यार्थियों के शैक्षिक उन्नयन के लिए मण्डल स्तरीय कार्यशाला का आयोजन कमिश्नरी सभागार में आयुक्त अलीगढ़ मण्डल अलीगढ़ चैत्रा वी. की अध्यक्षता में किया गया, मंडलायुक्त ने मां शारदे की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित एवं माल्यार्पण कर कार्यशाला का शुभारंभ किया।

मण्डलायुक्त ने कहा कि यह बच्चे दिव्यांग नहीं हैं। यह भगवान के बच्चे हैं और इनमें कोई न कोई एक ऐसा विशेष गुण अवश्य है, जो सामान्य बच्चों में देखने को नहीं मिलता है। आज के समय में चिकित्सा सुविधाएं काफी एडवांस हुई हैं, गर्भ में पल रहे शिशु में हुई विसंगति को भी ठीक किया जा रहा है।  उन्होंने अभिभावकों एवं शिक्षकों से कहा कि वह संयम रखें और इन विशेष बच्चों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव न करें। आपको शासकीय सेवा के साथ ईश्वर ने पुण्य प्राप्त करने का अवसर दिया है, इसका लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि सरकार ने इन बच्चों के लिए इतना बेहतर सोचा है कि यह बच्चे विद्यालय भी जा रहे हैं और उनमें व्याप्त शारीरिक कमी को भी दूर किया जा रहा है। उन्होंने भौतिक वैज्ञानी स्टीफन हॉकिंग को याद करते हुए कहा कि इन बच्चों को बदनसीब ना समझें, बच्चों का शारीरिक विसंगति में कोई दोष नहीं है।

एडी बेसिक एस0के0 वर्मा ने बताया कि दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए विद्यालयों में तैनात स्पेशल एजुकेटर्स द्वारा इन बच्चों को शिक्षित ही नही किया जा रहा है बल्कि फिजियोथेरेपिस्ट की मदद से शारीरिक विसंगतियों को भी दूर किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मंडल में 4372 विद्यालयों में दिव्यांग बच्चे चिन्हित हैं। मण्डल में 71 स्पेशल एजुकेटर्स कार्यरत हैं। उन्होंने 40 प्रतिशत से ऊपर की दिव्यांगता वाले विशेष बच्चों के दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए जाने के कार्य में प्रगति लाने के निर्देश दिए,

समावेशी कार्यशाला में एडी बेसिक एस0के0 वर्मा ने जब मंडलायुक्त को पुष्पगुच्छ भेंट किया तो उन्होंने दिव्यांग बच्चों को उनकी सीट पर जाकर पुष्पगुच्छ भेंट करते हुए कहा कि आज की कार्यशाला के मुख्य अतिथि यह बच्चे हैं, मैं नहीं। कार्यशाला में अपर परियोजना शिक्षा निदेशक रोहित त्रिपाठी ने कहा कि समावेशी शिक्षा विशिष्ट शिक्षा का पूरक है। यह नियमित शिक्षा प्रणाली तक सभी छात्रों की पहुंच और भागीदारी सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है। जिसमें शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों की भी जिम्मेदारी है कि वह संयम से काम लें और बच्चे को नियमित विद्यालय भेजें। शिक्षा सलाहकार आर. एन. सिंह ने कहा कि समावेशी शिक्षा को लेकर सभी शिक्षकों को गंभीर होना चाहिए। इसके साथ ही विद्यालयों में पंजीकृत सभी दिव्यांग बच्चों के जीवन में

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