मेघनगर(सिंघम न्यूज़ ,सुनील डाबी ) औद्योगिक क्षेत्र की बाफना जीनिंग फैक्टरी में बुधवार रात लगभग 3 बजे महिला मजदूर की दुर्घटना में मौत हो गई। जीनिंग मशीन के पट्टे में राकू पिता मंगा निवासी मानपुरा का दुपट्टा उलझ गया। वो पट्टे के साथ मशीन की तरफ झटके से चली गई और दुपट्टा गले में लिपट गया। आसपास मौजूद मजदूरों ने मशीन बंद की और राकू को फौरन मेघनगर सरकारी अस्पताल ले गए।
सरकारी अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं मिला तो जीवन ज्योति अस्पताल ले जाया गया। जहा पर  डॉक्टरों ने राकू को मृत घोषित कर दिया। हादसे के बाद परिजन जब शव लेकर वापस फैक्टरी पर पहुंचे तो यहां मैनेजमेंट ने अंदर से ताला लगा दिया। कई घंटों तक बाहर शव रखकर परिजन रोते-बिलखते रहे, लेकिन मदद को कोई नहीं आया। राकू की मौत के बाद उसका शव कई घंटो तक  लेकर परिजन वही बेठे रहे  बाद पुलिस ने पंचनामा बनाया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। मेघनगर थाना प्रभारी जेआर बरडे ने बताया, पंचनामा बनाया गया है। 
नियमो की अवहेलना :- 
महिला मजदूर राकू की मौत ने यहां औद्योगिक क्षेत्र की फैक्टरियों में सुरक्षा की पोल खोल के रख दी । यहां नियमो की ताक में रखकर  रात के समय महिला मजदूर से काम कराया जा रहा है  इतना ही मजदूरों के पास सुरक्षा उपकरण भी नहीं थे, और मजदूरों के अलावा कोई भी जिम्मेदार इस फेक्टरी में रात में मोजूद नही था ।हम आपको बता दे के  मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र ,औद्योगिक स्वास्थ्य व सुरक्षा विभाग उज्जैन के दायरे  में है। इस बारे में  सहायक संचालक अरविंद शर्मा से बात की गयी तो उनका कहना था की ,  महिला से रात के समय काम नहीं कराया जा सकता। यदि  महिला फैक्टरी में रात में काम कर रही  है तो यह गलत है।  फैक्टरी में काम करने वाले मजदूरों के पास सुरक्षा के साधन होना आवश्यक है ।इस मामले में  जांच की जाएगी। अब सवाल यह उठता है की हादसे के बाद ही जिम्मेदार जाच की बात करते है तो इतने समय से जिम्मेदार अधिकारी क्या कर रहे थे 
हमारे दायरे में नही :- 
इस बारे में श्रम पदाधिकारी वीएस मंडलोई ने जानकारी देते हुवे बताया की  घटना की सूचना औद्योगिक स्वास्थ्य व सुरक्षा को उज्जैन में दी गई है। किसी भी फेक्ट्री  में जांच करने और प्रवेश करने का अधिकारी हमारे पास नहीं है। ये वही कर सकते हैं।                                                                                      आखिर कब जागेगा विभाग :-                                                                                                     मेघनगर के ओघोगिक क्षेत्र की कई फेक्टरियो की बात की जाये तो कई जगह बाल मजदूर कार्य कर रहे है मगर जिम्मेदार अधिकारी इस और ध्यान ही नही देते है ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है की जिम्मेदार अधिकारी क्या महज खानापूर्ति कर कागजी कार्यवाही में सब ठीक है की मोहर लगा रहे है अगर बात इस जिनिग फेक्टरी की करे तो बाहर तो बाल मजदूर प्रतिबंधित का बड़ा होडिंग लगा है मगर वास्तव में हकीकत कुछ और है अब देखना है की हर बार की तरह अधिकारी अपनी जाच में खानापूर्ति करते है या दोबारा ऐसा कोई हादसा न घटे इसके लिए उचित कार्यवाही करते है ! 
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