महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को असहज करने वाली एक बड़ी घटना घटित हुई. एक किसान ने अपने खेत में ज़हर खाकर जान दे दी. किसान ने सुसाइड नोट में अपने इस कदम के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. किसान के पास से हाथ से लिखा सुसाइड नोट मिला है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई लोगों के नाम हैं और अपने इस घातक कदम के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए अपने परिवार के लिए किसान ने मदद मांगी है.
यवतमाल जिले के राजुरवाड़ी गांव के 50 वर्षीय किसान की पहचान शंकर भाऊराव चायरे के रूप में हुई है. यह जिला देश में कृषि संकट की सर्वाधिक मार सह रहे जिलों में से एक है.
खुदकुशी के 12 घंटे बाद तक उनके परिवार ने वसंतराव नाईक मेडिकल कालेज अस्पताल के शवगृह से अंतिम संस्कार के लिए उनका शव लेने से मना कर दिया. परिजनों की मांग है कि या तो प्रधानमंत्री मोदी उनसे मिलने आएं और उनकी समस्याओं को समझें या फिर शव सौंपने से पहले राज्य सरकार उन्हें पूरा मुआवजा सौंपे.
घटनाक्रम से हतप्रभ, वसंतराव नाईक शेति स्वावलंबन मिशन (एसएनएसएसएम) के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने कहा कि वह बुधवार सुबह पीड़ित परिवार से मिलेंगे. तिवारी ने कहा, "हम परिवार को एक लाख रुपये की तुरंत राहत देंगे. चायरे के परिवार में उनकी पत्नी, तीन बेटियां (एक शादीशुदा) और एक बेटा है. हम उनकी जिम्मेदारी लेंगे और उन्हें शिक्षा दिलाएंगे और अगर वे पहले से शिक्षित हैं तो रोजगार मुहैया कराएंगे."
कहा जा रहा है कि चायरे ने सुबह के समय अपने खेत में एक पेड़ से लटककर जान देने की कोशिश की, लेकिन रस्सी टूट गई. इसके बाद उन्होंने जहर खा लिया और अचेत हो गए. लोग उन्हें गंभीर हालत में स्थानीय अस्पताल ले गए. चिकित्सकों ने नाजुक हालत के कारण उन्हें यवतमाल ले जाने को कहा. उन्हें वहां एक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी तब तक मौत हो चुकी थी.
पुलिस को हाथ से लिखा चायरे का दो पृष्ठों का मुड़ा-तुड़ा सुसाइड नोट मिला है. इसमें उन्होंने लिखा है कि कैसे उन्होंने सरकारी अधिकारियों, सांसदों, विधायकों, मंत्रियों से मदद मांगी थी, लेकिन उनकी उपेक्षा की गई.
उन्होंने लिखा है कि उनके पास नौ एकड़ खेत है. कपास की खेती के लिए उन्होंने सहकारी समिति से 90 हजार रुपये और निजी स्तर पर तीन लाख रुपये का कर्ज लिया था. लेकिन, रोग के कारण फसल नष्ट हो गई और कर्ज चुकाना उनके लिए बेहद मुश्किल हो गया.
उन्होंने अपने सुसाइड नोट में लिखा है, "मेरे ऊपर बहुत बड़ा कर्ज का बोझ है. इसलिए मैं खुदकुशी कर रहा हूं. नरेंद्र मोदी सरकार इसके लिए जिम्मेदार है."
वीएनएसएसएम के किशोर तिवारी ने कहा कि सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के घोर लापरवाह रुख के कारण जून 2017 में घोषित की गई कर्ज माफी योजना का लाभ आज तक कई पात्र लोगों को नहीं मिल सका है.
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