नई दिल्ली I केंद्र सरकार ने नौकरियों और शिक्षा में जाति आधारित आरक्षण के खिलाफ कई संगठनों की ओर से मंगलवार को किए गए भारत बंद के आह्वान के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करने और हिंसा रोकने के लिए सभी राज्यों के लिए परामर्श जारी किया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि अपने इलाके में होने वाली किसी भी हिंसा के लिए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे.

बंद ने लिया था व्यापक हिंसा का रूप
करीब एक हफ्ते पहले हुए ऐसे ही एक प्रदर्शन के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में हुई व्यापक हिंसा के एक हफ्ते बाद यह संदेश आया है. दलित हिंसा में एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक परामर्श जारी किया है कि कुछ समूहों द्वारा सोशल मीडिया पर 10 अप्रैल को बुलाए गए भारत बंद के मद्देनजर आवश्यक एहतियाती कदम उठाए जाएं.

अधिकारी ने कहा, 'गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा बढ़ाने और उचित इंतजाम करने का निर्देश दिया है. आवश्यक हो तो निषेधाज्ञा भी लगाई जा सकती है.' राज्यों से सभी संवेदनशील जगहों पर गश्त तेज करने को कहा गया है जिससे जानमाल के किसी भी नुकसान को रोका जा सके.
अधिकारी ने कहा, 'परामर्श में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में आने वाले इलाके में कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में रखें. इसके लिए पूरी तरह से जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को जिम्मेदार माना जाएगा.'

केरल में बंद
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के SC/ST एक्ट पर फैसले के विरोध में सोमवार (9 अप्रैल) को केरल में 30 दलित संगठनों द्वारा बंद का आह्वान किए जाने के बाद राज्य में सामान्य जनजीवन आंदोलन की वजह से प्रभावित हुआ. यह बंद अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अधिनियम को कमजोर बनाने के खिलाफ आहूत किया गया था. दलित आंदोलन बाकि राज्यों की तरह यहां भी हिंसक होता नजर आया. प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर सरकारी बसों पर पत्थर फेंके. हिंसक प्रदर्शन के चलते सड़के जाम हुई. कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने बसों की आवाजाही रोकने के लिए सड़कें अवरुद्ध कर दी.

एमपी में कई जगहों पर नेट पर बैन
दो अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट के फैसले के खिलाफ दलति संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया था. भारत बंद के दौरान सबसे ज्यादा हिंसा मध्य प्रदेश में ही हुई थी. राज्य में सबसे ज्यादा 8 लोगों की मौत भी हुई थी. पिछली हिंसा को देखते हुए 10 अप्रैल को होने वाले भारत बंद को लेकर प्रशासन मुस्तैद हो गया है और सुरक्षा-व्यवस्था चाक चौबंद कर ली है. कमिश्नर अजातशत्रु श्रीवास्तव ने बताया कि राजधानी भोपाल में भी धारा 144 लगा दी गई है, स्कूल खुले रहेंगे और किसी भी हिंसा से निपटने के लिए 6,000 पुलिस फोर्स लगाई गई है. सोशल मीडिया पर भी नजर रखी जा रही है.

प्रशासन ने ग्वालियर, भिंड और मुरैना में स्कूल-कॉलेजों को 10 अप्रैल को बंद रखने का आदेश दे रखा है. भिंड में सोमवार रात से अगले पूरे दिन कर्फ्यू लगाने का फैसला लिया है, जबकि प्रशासन ने ग्वालियर में इंटरनेट सेवाएं रविवार रात 11 बजे से मंगलवार रात 10 बजे तक बंद रखने की बात कही है. मुरैना में भी सोमवार दोपहर 2 बजे से इंटरनेट सेवा बंद रहेगी.

उत्तर प्रदेश में भी तैयारी
दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश प्रशासन ने भी भारत बंद को लेकर संभावित हिंसा से निपटने के की तैयारी कर रखी है. प्रदेशभर में वाहनों की चेकिंग की जा रही है. भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है जिससे इस बार किसी भी प्रकार की हिंसा न हो.

मथुरा में सवर्णों के बाद राजपूत सभा ने भारत बंद का ऐलान कर रखा है, साथ ही शहर के सभी व्यापारियों से इस दिन अपने प्रतिष्ठान बंद रखने का आह्वान भी किया है. राजपूत सभा ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए सभा के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी भी सौंपी हैं. वहीं, हापुड़ के डीएम ने पूरे जिले में सोमवार शाम 6 बजे से मंगलवार शाम 6 बजे तक इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी है.
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