नई दिल्ली I भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के NRC पर बयान पर कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि बड़ी खुशी है कि अमित शाह खुद को कांग्रेसी समझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि 1985 का समझौता और ये जो कदम उठाया जा रहा है इनके बीच किसी प्रकार का संबंध नहीं है.

उन्होंने कहा, 'मैं खुद राजीव गांधी की सरकार में जॉइंट सेक्रेटरी था. जिस समय इस समझौते पर राजीव गांधी ने तय किया उस समय में उनके साथ ही था. उस आधार पर मैं कहता हूं कि जो समझौते में लिखा था और एनआरसी पर यह जो कदम उठाया जा रहा है इनमें में किसी प्रकार का संबंध नहीं है.'

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) पर कहा कि विपक्षी दल इस मसले पर देश को गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस वोटबैंक के चक्कर में बंगाली घुसपैठियों को बाहर करने का साहस नहीं दिखा सकी और अब सवाल उठा रही है. उन्होंने कहा था कि असम एकॉर्ड जो राजीव गांधी जी की अध्यक्षता वाली सरकार के समय में हुआ था, NRC उसकी आत्मा है जिसमें व्याख्या की गई है कि एक-एक अवैध घुसपैठिये को चुनकर देश की मतदाता सूची से बाहर किया जाएगा.

वहीं, अय्यर ने कहा कि तत्कालीन समझौते में ये कहा गया था कि एक ट्रिब्यूनल बनेगा जो मुकम्मल तौर पर जांच करने के बाद निष्कर्ष पर पहुंचेगा कि मार्च 1971 कौन-कौन गैर कानूनी तरीके से आए. जब तक सुप्रीम कोर्ट ने इस ट्रिब्यूनल को गैर संवैधानिक करार नहीं दिया था तब तक काम बहुत तरीके से अच्छे से हो रहा था. उन्होंने कहा कि उसी तरीके का कोई तर्क निकाला जाना चाहिए था लेकिन ये जो इन्होंने किया है कि अचानक 40 लाख जो हिंदुस्तान के बाशिंदे हैं. उनपर अब एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा कर दिया गया है.

उन्होंने कहा, 'एक लिस्ट बनाई गई है, जिसमें 40 लाख लोगों पर सवाल खड़े कर दिए गए हैं. हमारे जमाने में और 1985 के समझौते के तहत जिन लोगों को यह तय किया गया था कि वह गैर कानूनी तरीके से आए थे उनको वापस बांग्लादेश भेजा गया.'

उनके अलावा, कांग्रेस प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने कहा कि अमित शाह थोड़ा पढ़ लिया करें. राहुल गांधी ने पहले ही फेसबुक पेज पर इस मसले पर अपना स्टैंड साफ कर दिया है. राजीव गांधी ने समझौता साइन किया था, लेकिन सरकार ने इसको त्रुटिपूर्ण तरीके से करके चुनावी साल में चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल किया.
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