लंदन I कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ब्रिटेन के दो दिवसीय दौर पर हैं. इस दौरान वह विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं. इसी तरह से लंदन में शनिवार को आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम के दौरान खालिस्तान समर्थक जुट गए, जहां राहुल गांधी प्रवासी भारतीयों को संबोधित करने वाले थे. बाद में सुरक्षा बलों और पुलिस ने खालिस्तान समर्थकों को वहां से हटाया. राहुल गांधी के कार्यक्रम स्थल पर खालिस्तान के समर्थन में नारे भी लगाए गए.

बता दें कि लंदन में 12 अगस्त को आयोजित खालिस्तान समर्थक रैली को लेकर भारत ने ब्रिटेन से नाराजगी जाहिर की थी और कहा था कि लंदन में होने वाला कार्यक्रम एक अलगाववादी गतिविधि है, जो भारत की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता है.

इससे पहले लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने 1984 के सिख विरोधी दंगों को 'बेहद दुखद त्रासदी' बताया और कहा कि वह किसी के भी खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा में शामिल लोगों को सजा देने का 100 फीसदी समर्थन करते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षक द्वारा हत्या के बाद 1984 में हुए दंगों में करीब 3,000 सिख मारे गए थे. उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी.  

राहुल गांधी ने ब्रिटेन के सांसदों और स्थानीय नेताओं की सभा में शुक्रवार को कहा कि यह घटना त्रासदी थी और बहुत दुखद अनुभव था, लेकिन उन्होंने इससे असहमति जताई कि इसमें कांग्रेस 'शामिल' थी. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'मुझे लगता है कि किसी के भी खिलाफ कोई भी हिंसा गलत है. भारत में कानूनी प्रक्रिया चल रही है, लेकिन जहां तक मैं मानता हूं उस समय कुछ भी गलत किया गया तो उसे सजा मिलनी चाहिए और मैं इसका 100 फीसदी समर्थन करता हूं.'

उन्होंने कहा, 'मेरे मन में उसके बारे में कोई भ्रम नहीं है. यह एक त्रासदी थी, यह एक दुखद अनुभव था. आप कहते हैं कि उसमें कांग्रेस पार्टी शामिल थी, मैं इससे सहमति नहीं रखता. निश्चित तौर पर हिंसा हुई थी, निश्चित तौर पर वह त्रासदी थी.'

वहीं कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने शनिवार को राहुल गांधी का बचाव करते हुए कहा था कि उन्हें सिख विरोधी दंगों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. कोलकाता में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान चिदंबरम ने कहा कि 1984 में कांग्रेस शासन में थी. उस समय जो कुछ भी हुआ वह बहुत त्रासदीपूर्ण था और उसके लिए डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए संसद में माफी भी मांगी. उस हिंसा के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. उस समय वह कोई 13 या 14 वर्ष के रहे होंगे. उन्हें दोषी करार नहीं दिया जा सकता है.
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