नई दिल्ली I अपने कार्यकाल समाप्त होने से एक दिन पहले विधि आयोग ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराने के मोदी सरकार के प्रस्ताव का अनुमोदन किया. इसमें कहा कि इससे देश लगातार चुनावी मोड से बाहर निकलेगा. साथ ही अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले आयोग ने इस मुद्दे पर और सार्वजनिक परिचर्चा कराने का सुझाव दिया.

आयोग ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में कहा कि वर्तमान संवैधानिक रूपरेखा में यह काम नहीं हो सकता और सुझाव दिया कि दोनों तरह के चुनाव एक साथ कराने के लिए बदलाव की जरूरत है.

उसने कहा, ‘‘एक साथ चुनाव कराने से सरकारी धन की बचत होगी, प्रशासनिक ढांचे और सुरक्षा बलों पर बोझ कम करने और सरकारी नीतियों को बेहतर तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी. अगर एक साथ चुनाव कराए जाते हैं तो प्रशासनिक मशीनरी विकास गतिविधियों में लगी रहेगी.’’

बता दें कि एकसाथ चुनाव कराने को लेकर विधि आयोग ने जुलाई में विभिन्न राजनीतिक दलों से चर्चा की थी. हालांकि विपक्षी पार्टियों ने एकसाथ चुनाव को संघीय ढांचे के खिलाफ बताकर इसका विरोध किया था. विपक्षी पार्टियों ने तर्क दिया था कि अगर किसी राज्य में किसी राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनती है तो एकसाथ चुनाव सफल नहीं होगा. हालांकि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस तर्क को निर्मूल करार दिया है.
मसौदा रिपोर्ट को एक अपील के साथ सार्वजनिक किया गया जिसमें लोकसभा और जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए सभी संबंधित पक्षों की राय मांगी गई है. रिपोर्ट की एक प्रति सरकार को सौंपी गई है.

आयोग ने कहा कि संविधान के वर्तमान ढांचे में एक साथ चुनाव कराना संभव नहीं है. समिति ने सदनों के नियम-कायदे और इससे जुड़े अनुच्छेद में बदलाव की अनुशंसा की. आयोग का तीन वर्षों का कार्यकाल 31 अगस्त को समाप्त हो रहा है.
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