नई दिल्ली I स्टैच्यू आफ यूनिटी के लोकार्पण के मौके पर भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की गैरमौजूदगी कई सवाल खड़े करती है। आडवाणी बुधवार को गुजरात न जाकर संसद में सरदार पटेल की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने पहुंचे। ऐसे में सवाल उठने लाजिमी हैं, क्योंकि सरकार ने गुजरात के सभी सांसदों और भाजपा नेताओं को समारोह में आमंत्रित किया था और आडवाणी गांधीनगर से सांसद हैं।


कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि सरकार ने सरदार पटेल का स्टैच्यू तो बना दिया, लेकिन अपने बड़ों को सम्मान नहीं देने से यूनिटी का संदेश तो कतई नहीं मिलता है। इसके साथ ही विरोधियों के बीच आडवाणी की उपेक्षा को लेकर चर्चा गरम हो गई है। बतौर मुख्यमंत्री जब नरेंद्र मोदी ने 2013 में पटेल की प्रतिमा का शिलान्यास किया था तो उस समय आडवाणी भी मौजूद थे। 


मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमित शाह का अभिवादन भाजपा अध्यक्ष के नाते नहीं बल्कि राज्यसभा सांसद के तौर पर किया। दरअसल एक समय भाजपा में आडवाणी की पहचान लौह पुरुष की थी। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में जब उन्हें गृहमंत्री बनाया गया तो पार्टी नेताओं ने उन्हें छोटे सरदार के रूप में प्रचारित किया था। आडवाणी अटल की तुलना में कठोर फैसलों के लिए जाने जाते थे।
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