नई दिल्ली : आपराधिक छवि के नेता अब राजनीति में ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इसी से संबंधित एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए ये बात कही। कोर्ट ने अपनी सुनवाई में याचिका पर संज्ञान लेते हुए कहा कि वह इस पर बात पर फोकस करेगा कि एक बार आपराधिक मामले में दोषी पाए गए किसी भी नेता को राजनीति से जीवन भर के लिए बैन कर दिया जाना चाहिए। 

बता दें कि ये जनहित याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय के द्वारा दायर की गई थी। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली जस्टिस उदय यू ललित और के एम जोसेफ की पीठ ने याचिकाकर्ता को कोर्ट के सामने पूछा के उनकी याचिका दायर करने का मुख्य मकसद क्या है। कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के लिए वरिष्ठ वकील विजय हनसरिया को नियुक्त किया था।

जवाब में उपाध्याय ने कहा कि चुनाव लड़ने जा रहे नेता जिनपर आपराधिक मामले दर्ज हैं उन्हें राजनीति से जीवन भर के लिए बैन कर देना चाहिए। उपाध्याय ने ये भी कहा कि 'रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल एक्ट' की धारा 8 को असंवैधानिक घोषित कर देना चाहिए, जो यह कहता है कि चुनाव लड़ने जा रहे आपराधिक छवि वाले नेताओं को दो या अधिक साल की जेल की सजा हो सकती है। 

इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कहा कि हमें कोर्ट और न्याय की गरिमा को कम नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने ये भी कहा कि जब कानून आम नागरिक पर लागू होता है तो फिर यही कानून चुनाव लड़ने जा रहे राजनेताओं पर क्यों ना लागू हो?

कोर्ट ने इस पर केंद्र की दलील सुनने के बाद अगली सुनवाई 4 दिसंबर के लिए टाल दी है। हनसरिया ने कहा कि ये चिंता का विषय है कि 12 विशेष अदालतों आपराधिक छवि वाले राजनेताओं के खिलाफ कम से कम 3000 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। इनमें से कुछ साल 2007 से लंबित पड़े हैं।
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