नई दिल्ली: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने एक बार फिर मराठी और उत्तर भारतीयों की राजनीति को हवा दी है। उनका कहना है कि महाराष्ट्र में नौकरियों पर पहला हक मराठियों का है। उत्तर भारतीयों के विरोध की राजनीति करने वाले ठाकरे ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र में अगर नौकरी के अवसर हैं तो क्या यह गलत है कि महाराष्ट्र के युवाओं को पहली प्राथमिकता दी जाए? अगर एक इंडस्ट्री खुलती है और युवाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ऐसा ही बिहार में भी होना चाहिए। इसमें क्या गलत है? 

इसके अलावा राज ठाकरे ने एक कार्यक्रम में हिंदी भाषा को लेकर भी अपने राय जाहिर की। उन्होंने कहा कि निस्संदेह हिंदी एक सुंदर भाषा है। लेकिन यह गलत है कि यह राष्ट्रीय भाषा है। राष्ट्रीय भाषा को लेकर कभी भी निर्णय नहीं लिया गया। हिंदी भाषा की तरह ही मराठी, तमिल, गुजराती है, ये सभी इस देश की भाषाएं हैं।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कई सालों से 'मराठी अस्मिता' की राजनीति हावी रही है जिसका झंडाबरदार एमएनएस और शिवसेना जैसी पार्टियों को माना जाता है।

 रोजगार की आस में खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्रों के लोग जब महाराष्ट्र में जाते हैं तो क्षेत्रीय आधार पर उनके विरोध की राजनीति को हवा दी जाती है। काम की तलाश में महाराष्ट्र आए लोगों का विरोध कर उन्हें पलायन के लिए मजबूर किया जाता है। 
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