नई दिल्ली: राफेल डील की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जहां मोदी सरकार के लिए बड़ी राहत लेकर आया है वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस फैसले पर विरोध जताते हुए एक प्रेस नोट जारी किया है। इसमें इस फैसले को शॉकिंग बताते हुए बिंदुवार तरीके से आपत्ति जताई है।

उन्होंने राफेल मामले में कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग भी की है। उन्होंने इस फैसले को निराश करने वाला बताया है। इस प्रेस नोट में कहा गया है कि जजमेंट कैग की झूठी सूचनाओं पर आधारित है। उन्होंने कोर्ट के इस फैसले के कई बिंदुओं को लेकर विरोध जताया है।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार जैसे मसलों पर आश्चर्यजनक ढंग से अपनी ही न्यायिक समीक्षा के दायरे को छोटा कर लिया। मोदी सरकार इस सौदे में भ्रष्टाचार के जिन आरोपों के संतोषजनक जवाब भी नहीं दे पा रही थी, उनकी अगर स्वतंत्र जांच भी न हो तो देशवासियों के कई संदेहों पर से पर्दा नहीं हटेगा। 
ऐसे में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को झूठी जानकारी देकर जिस तरह गुमराह किया वो देश के साथ धोखा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का एक आधार यह बताया गया कि केंद्र सरकार ने सीएजी से लड़ाकू विमान की कीमतें साझा की, जिसके बाद सीएजी ने पीएसी (लोकलेखा समिति) को रिपोर्ट दे दी और फिर पीएसी ने संसद के समक्ष राफेल सौदे की जानकारी दे दी है, जो अब सार्वजनिक है।
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