नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के मसले पर मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन दायर की है। राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर प्रस्ताव को लेकर केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। लगभग 0.3 एकड़ भूमि जो कि विवादित है उसे छोड़कर शेष 70 एकड़ भूमि जो अधिग्रहित की गई थी, उसे मालिकों को वापस किया जा सकता है और यह 70 एकड़ भूमि है जिसे मोदी सरकार ने याचिका के माध्यम से अधिग्रहित करने की परमिशन मांगी है।
केंद्र सरकार ने 70 एकड़ जमीन अधिकृत की है।ये बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि पर यथास्थिति के आदेश वापस लेने की अर्जी है। अर्जी में कहा गया है कि 2.77 एकड़ जमीन पर निर्माण का अधिकार मिले। सरकार ने हिन्दू पक्षकारों को दी जमीन रामजन्म भूमि न्यास को देने की अपील की है।
1991 में उत्तर प्रदेश की कल्याण सरकार ने विवादित ढांचे के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अपने अधिकार में ले लिया था। 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े में जमीन बंटी।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही कोई कदम उठाएगी, लेकिन केंद्र सरकार पर मंदिर के निर्माण को लेकर चौतरफा दबाव पड़ रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि चुनाव में इसे लेकर कोई नुकसान ना हो, इसलिए मोदी सरकार एक्शन में आ गई है।
सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर लगातार सुनवाई टल रही है। पांच सदस्यीय संविधान पीठ के एक सदस्य के उपलब्ध नहीं होने के कारण राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में 29 जनवरी को होने वाली सुनवाई निरस्त कर दी गई।
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