भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से जब यह पूछा गया कि भाजपा ने आपको संघ एवं हिन्दू विरोधी बना दिया है, तो उन्होंने बताया, 'आरएसएस से मेरा कोई विवाद नहीं है। यह अगर हिन्दुओं का संगठन है तो दिग्विजय सिंह भी हिन्दू है। फिर मुझसे बैर क्यों भाई।'
उन्होंने कहा, 'आरएसएस कोई राजनीतिक संगठन तो है नहीं। आप (आरएसएस) स्वयं कहते हैं कि यह सांस्कृतिक संगठन हैं। आप (आरएसएस) कोई रजिस्टर्ड बॉडी भी नहीं है। राजनीतिक दल भी नहीं है। फिर क्यों नाराज होते हो भाई।'दिग्विजय ने बताया, 'मैं द्वारिका एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का आज से नहीं, बल्कि वर्ष 1983 से उनका दीक्षित शिष्य हूं। मैं अपने धर्म का ढिंढोरा नहीं पीटता और न ही चुनाव में उसका उपयोग करता हूं।'
उन्होंने कहा, 'ये भारतीय संविधान बाबा साहेब अम्बेडकर ने जो बनाया, उसमें हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है। उसमें क्यों लोगों को बांटते हो। देश की एकता और अखंडता हमारी शक्ति है। उसे कायम रखना है। सभी धर्म प्रेम और सद्भाव का रास्ता दिखाता है। राजनीति बांटती है, परिवार तक को बांट देती है। इसलिये धर्म को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिये।'
दिग्विजय ने बताया, 'मोदीजी सही बात करने से डरते हैं । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने चुनाव के हलफनामे में अपनी वैवाहिक स्थिति नहीं बताई थी। वहीं, अपनी शैक्षणिक योग्यता से जुड़ी जानकारी भी छुपा रहे हैं। बता दें। क्या दिक्कत है।' उन्होंने आरोप लगाया कि झूठे आंकड़े प्रस्तुत कर श्रेय लेना उनकी (मोदी) आदत में शुमार है। दिग्विजय ने कहा कि इसके अलावा मोदी ने कहा था कि वह कालाधन विदेशों से वापस लाएंगे, आतंकवाद को खत्म करेंगे, नकली करेंसी खत्म करेंगे, लेकिन न तो कालाधन वापस आया, न आतंकवाद खत्म हुआ और नकली करेंसी समाप्त होने की बजाय बढ़ गई है।
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