नयी दिल्ली:अमेरिका ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अंतरिक्ष और तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में भारत के साथ हितों को साझा करना जारी रखेगा। हालांकि, उसने अंतरिक्ष में मलबा पैदा होने के मुद्दे पर चिंता जताई। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि अंतरिक्ष में पैदा होने वाला मलबा अमेरिकी सरकार के लिए एक प्रमुख चिंता है। हम भारत सरकार के इन बयानों का संज्ञान लेंगे कि परीक्षण का उद्देश्य अंतरिक्ष मलबा के मुद्दे का हल करना है।
गौरतलब है कि बुधवार को भारत द्वारा किए गए इस परीक्षण के बाद नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने इन चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा था कि यह परीक्षण निचले वायुमंडल में किया गया ताकि अंतरिक्ष में मलबा पैदा नहीं हो। दिलचस्प है कि इस तरह का परीक्षण करने वाला अमेरिका पहला देश था। उसने सितंबर 1959 में यह परीक्षण किया था। इसके एक महीने बाद उसने एक और परीक्षण किया था।
अमेरिका ने 2008 में अपना ताजा परीक्षण किया, जिससे काफी मात्रा में मलबा पैदा हुआ था। चीन ने भी 2007 में इस तरह का परीक्षण करते हुए अपने एक मौसम उपग्रह को नष्ट किया था। उसके इस परीक्षण से उपग्रह के हजारों टुकड़े हुए थे और वे मलबे में तब्दील हो गए थे। संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण शोध संस्थान (यूएनआईडीआईआर) ने भी अंतरिक्ष में मलबा पैदा होने को लेकर चिंता जताई है।
संस्थान ने इस विषय पर एक वीडियो ट्वीट कर कहा, 'अंतरिक्ष में एंटी सैटेलाइट हथियारों के परीक्षण से मलबा पैदा होगा। इस तरह की चीजों पर दिशानिर्देश अंतरिक्ष में होने वाले नुकसान और तनाव पैदा होने को रोक सकता है।'
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अंतरिक्ष यात्री मार्थियस मॉरर ने कहा कि किसी उपग्रह को नष्ट करना और मनमाने तरीके से अंतरिक्ष में मलबा पैदा करना एक जिम्मेदार अंतरिक्ष शक्ति का प्रतीक नहीं है।
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