नई दिल्ली I प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कश्मीर को लेकर रुख वही है, जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का था. लेकिन वक्त से हिसाब से परिस्थितियां बदलती हैं. मोदी, अटल की नीति से अलग भी सोच सकते हैं. जहां अटल बिहारी वाजपेयी की नीतियों की प्रशंसा उनके विरोधी भी करते थे, वहीं मोदी हमेशा विपक्षी दलों के निशाने पर रहते हैं.

इंटरव्यू में कश्मीर को लेकर मोदी ने दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 'इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत' के सिद्धांत पर ही चलने का वचन दोहराया, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि घाटी के मुट्ठीभर राजनीतिक परिवारों को राज्य को भावनात्मक तौर पर ब्लैकमेल नहीं करने दिया जाएगा. कश्मीर की जनभावना के साथ किसी को भी खिलवाड़ करने नहीं दिया जाएगा.

देश के चुनाव में सेना भी

नरेंद्र मोदी चुनावी जनसभाओं में कई बार दोहरा चुके हैं कि उनके चुनावी मुद्दे में सेना, सीमा और आतंकवाद का मुद्दा अछूता नहीं रहेगा. तभी प्रधानमंत्री मोदी ने इस इंटरव्यू में खुलकर कहा, 'इस बार भी मेरा मुद्दा गरीबों को घर, गैस, बिजली देने का है. मैं यही बात बोलता हूं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा भी बड़ा मुद्दा है. ये नगर निकाय का चुनाव नहीं है, ये देश का चुनाव है. देश के चुनाव में सेना भी है, सीमा भी है और आतंकवाद भी मुद्दा है.'

370, 35-ए पर रुख स्पष्ट

जब पीएम मोदी से सवाल पूछा गया कि बीजेपी के घोषणा पत्र में कहा गया है कि 370 और 35-ए को हटाया जाएगा. तभी पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की ओर से कहा गया कि इससे कश्मीर भारत से अलग हो जाएगा. क्या इन अनुच्छेदों को संविधान से हटा पाना मुमकिन है? पीएम मोदी ने कड़े शब्दों में कहा, 'ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने का कोई हक ही नहीं है. यह कोई एग्रीमेंट है क्या? जम्मू-कश्मीर हजारों साल से हिंदुस्तान की तपस्या का केंद्र रहा है. हम मानते हैं कश्मीर का सबसे बड़ा नुकसान 370 और 35ए जैसी धाराओं ने किया है. हमने संकल्प पत्र में इन धाराओं को लेकर अपनी नीति स्पष्ट की है.'

प्रधानमंत्री ने कहा, 'कश्मीर को लेकर पहले से समझ है. इसके लिए 5 साल शासन में रहने की ज़रूरत नहीं.' मोदी ने ये बात उस सवाल के जवाब में कही जब उनसे पूछा गया कि क्या 2014 से केंद्र की सत्ता में होने के बाद क्या आपको समझ आया कि कश्मीर मुद्दे को डील करने के लिए सबसे अच्छा रास्ता कौन सा है..  

पीडीपी के साथ जाना महामिलावट

पीएम मोदी ने इस मौके पर जम्मू कश्मीर में सांगठनिक जिम्मेदारी के तहत बिताए अपने दिनों को याद किया. मोदी ने कहा, 'मैं वहां संगठन के लिए काम करता था. मैं राज्य के हर जिले का दौरा करने वाला रहा. इसलिए मैं वहां के बारे में अच्छी तरह जानता हूं.' हालांकि, प्रधानमंत्री ने राज्य में अस्थिरता के लिए घाटी के राजनीतिक परिवारों के दोहरी भाषा बोलने के लिए जिम्मेदार ठहराया. मोदी ने कहा, मुट्ठीभर परिवारों ने जम्मू कश्मीर को इमोशनल ब्लैकमेलिंग करने का रास्ता चुना हुआ है. मोदी ने बीजेपी और पीडीपी के जम्मू और कश्मीर में रहे पूर्व गठबंधन को धुर विरोधी विचारधाराओं की ‘महामिलावट’ का नाम दिया.  

मोदी ने कहा, 'मुफ्ती साहब के वक्त हमें उम्मीद थी, लेकिन वह हमारी महामिलावट थी. तेल और पानी का मिलन था. और वो हमने कहकर किया कि हम दो अलग-अलग ध्रुव है, हमारा कोई मेल नहीं बैठेगा. लेकिन जनादेश ऐसा था कि साथ मिले बिना कोई चारा नहीं था. लोकतंत्र का तकाजा आया तो हमने छोड़ भी दिया.”

इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत

मोदी ने कश्मीर की जटिल समस्या को सुलझाने के लिए दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सिद्धांत को ही सबसे अच्छा रास्ता बताया. मोदी ने कहा, सिर्फ अटल जी का फॉर्मूला ही कारगर हो सकता है- ‘इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत.’ लेकिन प्रधानमंत्री ने साथ ही घाटी के हाई प्रोफाइल परिवारों पर पूरे राज्य को भावनात्मक ब्लैकमेल करने का आरोप भी लगाया.

प्रधानमंत्री ने जम्मू और कश्मीर की मुख्य धारा की पार्टियों को चुनौती के लहजे में कहा कि वे श्रीनगर और दिल्ली में एक ही सुर में बोलने की हिम्मत दिखाएं. मोदी ने कहा, मुट्ठी भर परिवार हैं जो कश्मीर में एक भाषा बोलते हैं और दिल्ली में आकर दूसरी बात करते हैं. ये दोगलापन उजागर करना मेरा काम है और मैं कर रहा हूं. उनमें ये हिम्मत होनी चाहिए कि जो कश्मीर में बोलें वही दिल्ली में आकर भी बोलें. वे दो भाषा बोल रहे हैं और एक्सपोज हो रहे हैं.

पीएम का दावा महंगाई रुकी

प्रधानमंत्री मोदी ने इंटरव्यू में कहा कि उनके कार्यकाल में महंगाई का ना बढ़ना मजबूत अर्थव्यवस्था का प्रतीक है. 2014 में यूपीए के सत्ता से बाहर होने में महंगाई दर का ऊंचा होना भी एक अहम कारण था. मोदी ने नोटबंदी और गुड्स एवं सर्विस टैक्स (GST) के अमल पर सरकार की आलोचना को खारिज किया. अर्थव्यवस्था के मौजूदा प्रबंधन को लेकर मोदी ने कहा, ‘मैं पूरी तरह संतुष्ट हूं.’

मोदी ने कहा, 'आप 2014 पर लौटकर देखिए तो महंगाई सुर्खियां बनती थीं. आज मंहगाई की चर्चा ही नहीं है.' प्रधानमंत्री ने हैरानी जताई कि विपक्ष से कभी नहीं पूछा जाता कि कैसे मौजूदा सरकार ने पांच साल के कार्यकाल में महंगाई को काबू में रखा. मोदी ने कहा, 'आप कांग्रेस से कभी नहीं पूछते कि 2014 के बाद कीमतों में कैसे गिरावट आई. पूछा जाता तो उनके लिए जनता के सामने झूठ बोलना बड़ा मुश्किल होता.'

बदल गईं 'दीदी'

हाल में अभिनेता अक्षय कुमार को दिए इंटरव्यू में मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से उन्हें कुर्ते गिफ्ट में देने का जिक्र किया था. मोदी ने कहा कि व्यक्तिगत संबंध और व्यवहार अलग बात होती है और राजनीतिक विचारधारा की लड़ाई अलग. मोदी ने इस संबंध में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के ब्लॉग का जिक्र किया. मोदी ने कहा, 'आडवाणी जी ने बहुत अच्छा ब्लॉग लिखा. हम किसी को अपना दुश्मन नहीं समझते और यही हमारी मूल चरित्र है.'  

मोदी ने ममता बनर्जी में आए बदलाव पर हैरानी जताते हुए 2009 के दिनों को याद किया कि किस तरह वे अवैध बांग्लादेशियों को देश से बाहर निकालने की बात करती थीं. साथ ही हिंसा के खिलाफ़ आह्वान करती थीं और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन के तहत चुनाव की मांग करती थीं.  

मोदी ने कहा, 'अब वही ममता दीदी हैं. वहां चुनाव में आए दिन हत्याएं हो रही हैं. इस पर मुझे हैरानी होती है कि कौन सी ममता दीदी हैं. ये चिंता की बात है. वे इतना बदल जाएंगी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी. मैंने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि ममता जी को लेकर मेरा आकलन गलत निकला.'
Share To:

Post A Comment:

0 comments so far,add yours