नई दिल्ली। कुछ समय पहले की बात है जब कपिल देव ने अपने एक बयान में कहा था कि 'रवि शास्त्री में कोई प्रतिभा मौजूद नहीं थी लेकिन फिर भी उन्होंने उस स्तर पर क्रिकेट खेला। लेकिन उनमें जीतने की ललक हमेशा थी।' गौरतलब है कि रवि शास्त्री ने कपिल की कप्तानी में खेला था तो उनको इस बात का अंदाजा था। खैर, पुरानी बात पुरानी हुई और अब वही कपिल देव आगे आए और अपनी क्रिकेट सलाहकार समिति के साथ ऐलान किया कि भारतीय क्रिकेट टीम को रवि शास्त्री ही क्रिकेट का पाठ पढ़ाएंगे। हां, जरूरी नहीं की बेहतर खिलाड़ी ही बेहतर कोच बन पाए लेकिन रवि शास्त्री चौथी बार टीम इंडिया के साथ जुड़ने जा रहे हैं इसकी वजह भी साफ है।
पहले ही चर्चा हवा में थी..
बीसीसीआई की क्रिकेट सलाकार समिति जब शुक्रवार को कोच पद के आवेदनकर्ताओं के इंटरव्यू लेने बैठी, उससे कई दिन पहले से ही रिपोर्ट्स आनी शुरू हो गई थीं कि रवि शास्त्री ही फिर से कोच बनेंगे। वजह? दरअसल, पिछले कुछ मामले इस बात की गवाही देते हैं। शास्त्री जब टीम इंडिया के निदेशक बने तब सभी पूर्व दिग्गज व आलोचक ये सवाल पूछ रहे थे कि टीम में कोच है, हर विदेश दौरे का टीम मैनेजर भी होता है, आखिर ये निदेशक पद क्यों बना दिया गया? शायद वो बीसीसीआई का एक प्रयोग था..प्रयोग सफल भी रहा क्योंकि टीम इंडिया के कप्तान को कोच पसंद आ गया। इतिहास गवाह है कि भारतीय क्रिकेट टीम में कप्तान का ही वर्चस्व रहा है, फिर चाहे वो कैसा भी फैसला हो। इसलिए अगर कप्तान-कोच का तालमेल सही है तो ये सफर लंबे समय तक चलेगा।
कपिल देव खुद भी झेल चुके हैं 'वो' दर्द
आमतौर पर विदेशी कोच खुद अपना कार्यकाल खत्म कर देते हैं या फिर कोच का अंत ग्रेग चैपल जैसा होता है लेकिन चैपल मामले में भी शुरुआत में गांगुली भी चैपल को कोच बनाने के पक्ष में थे। जहां तक बात करें क्रिकेट सलाहकार समिति के प्रमुख कपिल देव की, तो वो खुद भी इससे गुजर चुके हैं। जब कपिल देव भारतीय टीम के कोच बने थे तो उनको भी दुख के साथ कोच पद छोड़ना पड़ा था।
महान सचिन तेंदुलकर जब 90' के दशक के अंत में दूसरी बार भारतीय टीम के कप्तान बने थे तब कपिल देव की कप्तानी उन्हें पसंद नहीं आई थी इसलिए उन्हें जाना पड़ा। सचिन ने अपनी किताब में खुद भी इसका खुलासा किया कि कपिल देव से उनको काफी उम्मीदें थीं लेकिन वो खुद को फैसलों में शामिल नहीं करते थे। 
Share To:

Post A Comment:

0 comments so far,add yours