नई दिल्ली: देशभर में आज धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाए जाने वाले इस पर्व का हिन्दू परंपरा में खास महत्व है. इस दिन विशेष तौर पर धन की देवी माता लक्ष्मी, कुबेर और यमराज के पूजन का विधान है. इस दिन अमीर-गरीब सभी कुछ न कुछ खरीदारी करते हैं. मान्यता है कि इस दिन कुछ खरीदने से माता लक्ष्मी की पूरे साल कृपा बनी रहती है. धनतेरस के दिन से ही दिवाली की भी शुरुआत हो जाती है.
आगे हम आपको आज के दिन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि बताएं इससे पहले यह जान लीजिए कि धनतेरस का पर्व क्यों मनाया जाता है और इसके पीछे की क्या मान्यताएं हैं. दरअसल, मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे. मान्यता है कि इस दिन खरीदारी करने से धनों में 13 गुना वृद्धि होती है. कथाओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथ में एक अमृत कलश था. यह भी एक कारण है कि लोग इस दिन बर्तन खरीदने को प्राथमिकता देते हैं.

धनतेरस पर पूजा का शुभ मुहूर्त
शाम 7 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 15 मिनट तक
प्रदोष काल-5 बजकर 42 मिनट से 8 बजकर 15 मिनट तक
वृषभ काल-6 बजकर 51 मिनट से 8 बजकर 47 मिनट तक

धनतेरस की पूजा का आसान तरीका
धनतेरस की शाम को तिल के तेल से आटे या पीतल का दीप जलाएं. शाम की पूजा में सबसे पहले गणेशजी की पूजा करें और इसके बाद गणेशजी की पूजा करें. लक्ष्मीजी की पूजा करने के बाद भगवान धन्वंतरि और यमराज जी की पूजा करें. पूजा के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके यमराज को जल दें. पूजा के बाद अनाज का दान करें. आपको बता दें कि धनतेरस के दिन गणेशजी की स्थापना करने विशेष लाभ होता है.
इन उपायों से बरसेगी माता लक्ष्मी की कृपा
धनतेरस पर साफ-सफाई का खासा महत्व है. मान्यता है कि जहां स्वच्छता है वहीं माता लक्ष्मी रहती हैं. उपायों के तौर पर पूजा घर में सुगंध फैलाने के लिए इत्र का इस्तेमाल करें. धनतेरस के सूर्योदय से लेकर भाई दूज की रात तक रोजाना 11 मालाएं ‘ओम लक्ष्मये नम:’ का जाप करें. जाप की माला कमलगट्टे की होनी चाहिए. जप करते समय किसी प्रकार का कोई और कार्य ना करें. अष्टमी के दिन घर पर 8 साल से कम की कन्या को भोजन कराएं और कन्या को उपहार दें.
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