नई दिल्ली. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने केंद्र सरकार द्वारा ईपीएफ योगदान (EPF Contribution Rules) को 12 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किए जाने के संबंध में कई जानकारियां दी है. आर्थिक राहत पैकेज में इस ऐलान के बाद कर्मचारियों और नियोक्ताओं द्वारा कुछ बातों को लेकर स्पष्टता की मांग की जा रही​ थी. सरकार द्वारा इसे नोटिफाई करने के बाद ईपीएफओ ने इस बारे में अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से जानकारी दी है.

आत्मनिर्भर भारत पैकेज में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने ऐलान किया था कि ईपीएफ योगदान को अगले 3 महीने के लिए 12 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया जाएगा. सरकार ने यह फैसला लिया था ताकि कोविड-19 के इस संकट में कर्मचारियों की टेक होम सैलरी बढ़ जाए और उनके पास पैसे की कमी न हो. वित्त मंत्री ने बताया कि इस फैसले से करीब 6.5 लाख नियोक्ताओं के 4.3 करोड़ कर्मचारी व सब्सक्राइबर्स को लाभ मिल सकेगा. हालां​कि, केंद्रीय कर्मचारियों के पीएफ में यह कटौती नहीं की जाएगी.

अब EPFO ने साफ कर दिया है कि जो नियोक्ता कॉस्ट टू कंपनी (CTC- Cost To Company) मॉडल को फॉलो करते हैं, उन्होंने अगर EPF योगदान 10 फीसदी करने का फैसला किया है तो इसका लाभ उन्हें कर्मचारियों को देना होगा. हालांकि, EPFO द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, यह कर्मचारी और नियोक्ताओं के लिए अनिवार्य नहीं है. EPFO ने कहा, इन तीन महीनों के दौरान योगदान के लिए 10 फीसदी की रकम न्यूनतम है. कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों इससे अधिक योगदान कर सकते हैं.
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