वॉशिंगटन । आर्थिक रूप से मजबूत सात देशों के समूह G-7 को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो बड़ी बातें कही हैं. पहला तो ये कि ट्रंप ने भारत, रूस, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को इस समूह में शामिल करने की सलाह दी है. दूसरा ट्रंप ने G-7 देशों की बैठक सितंबर तक टालने का ऐलान किया है. पहले ये बैठक 10 से 12 जून के बीच होनी थी लेकिन कोरोना को देखते हुए बैठक को टाल दिया गया है. अभी G7 देशों में अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, इटली और जापान शामिल हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि ''मैं G7 समिट को स्थगित कर रहा हूं क्योंकि मुझे ये नहीं लगता कि दुनिया में जो चल रहा है, उसकी ये सही नुमाइंदगी करता है. यह देशों का बहुत ही पुराना समूह हो गया है. इसमें भारत, रूस, दक्षिण कोरिया, और ऑस्ट्रेलिया को भी होना चाहिए.''

जानिए- G-7 के बारे में सबकुछ

जी-7 के सदस्य कौन हैं?
बता दें कि जी-7 के सदस्य है, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, इटली और अमेरिका. जी-7 दुनिया के सात विकसित देशों का एलीट क्लब है. जो विश्व की अर्थव्यवस्था की दिशा तय करती है. इन देशों का दुनिया की 40 प्रतिशत जीडीपी पर कब्जा है.

क्यों पड़ी G-7 समूह की जरूरत
70 के दशक में कई देशों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. पहला- तेल संकट और दूसरा- फिक्स्ड करेंसी एक्सचेंज रेट्स के सिस्टम का ब्रेक डाउन. 1975 में जी7 की पहली बैठक आयोजित की गई, जहां इन आर्थिक समस्याओं के संभावित समाधानों पर विचार किया गया. सदस्य देशों ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीति पर समझौता किया और वैश्विक आर्थिक मंदी से निपटने के लिए समाधान निकाले.

चीन नहीं है इसका हिस्सा
चीन G20 का हिस्सा है, लेकिन G7 में शामिल नहीं है. चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवथा है, फिर भी जी7 का हिस्सा नहीं है. इसकी वजह ये है कि चीन में सबसे ज्यादा आबादी है और प्रति व्यक्ति आय संपत्ति जी7 देशों के मुकाबले बहुत कम है. ऐसे में चीन को उन्नत या विकसित अर्थव्यवस्था नहीं माना जाता है.
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