इस फोटो के वायरल होने के बाद चर्चा शुरू हो गई है कि क्या आगामी विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र के हिंगोली में राजनीतिक समीकरण बदल जाएंगे. दरअसल, नागेश पाटिल अष्टिकर और संतोष बांगर की मुलाकात के बाद हिंगोली की राजनीति में तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं. शिंदे गुट के नेता अब्दुल सत्तार हिंगोली के संरक्षक मंत्री हैं और यह बैठक मुंबई में उनके आवास पर हुई. सत्र के दौरान इस बैठक को लेकर तरह-तरह के तर्क-वितर्क हो रहे हैं.
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में ठाकरे गुट के नागेश पाटिल अष्टिकर ने शिंदे गुट के उम्मीदवार को हराया था. उस दौरान संतोष बांगर और उनके बीच कई दौर के आरोप-प्रत्यारोप चले थे. लेकिन अब इन दोनों नेताओं की मुलाकात अब्दुल सत्तार के घर पर हुई और ये मुलाकात गुप्त थी. इसलिए इस मुलाकात से हिंगोली जिले में राजनीति के समीकरण बदलने की संभावना है.
हिंगोली में ठाकरे गुट की जीत
मराठवाड़ा की हिंगोली लोकसभा सीट शुरू से ही चर्चा में रही. बीजेपी ने यहां तत्कालीन सांसद हेमंत पाटिल की उम्मीदवारी का विरोध किया था और एकनाथ शिंदे को उम्मीदवार बदलना पड़ा था. यहां पर शिव सेना शिंदे गुट ने बाबूराव कोहलीकर को टिकट दिया है. उनके खिलाफ नागेश पाटिल आष्टीकर को महाविकास अघाड़ी से टिकट मिला है.
हिंगोली में महायुति में बढ़ते भ्रम का फायदा महायुति को मिला. साथ ही मराठा आरक्षण का भी इस लोकसभा क्षेत्र के चुनाव पर बड़ा असर पड़ा. नतीजा यह हुआ कि ठाकरे गुट के नागेश पाटिल अष्टिकर ने शिव सेना शिंदे गुट के उम्मीदवार को एक लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया.
लोकसभा चुनाव में देखा गया कि हिंगोली की राजनीति में ठाकरे समूह को बढ़त हासिल हुई. इसी पृष्ठभूमि में नवनिर्वाचित सांसद नागेश पाटिल अष्टिकर की शिंदे विधायक संतोष बांगर और मंत्री अब्दुल सत्तार से मुलाकात चर्चा का विषय बन गई है. आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा कि इस गुप्त बैठक से किस गुट को फायदा होगा और किस गुट को नुकसान होगा.
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