त्रिपुरा में बीजेपी ने 25 साल से सत्तारूढ़ वामपंथी सरकार को हराकर इतिहास रच दिया है. मेघालय को लेफ्ट का गढ़ कहा जाता है और यहां बीते 5 चुनावों से लगातार सीपीएम ने सरकार बनाई थी.

लेकिन इस बार के चुनाव में बीजेपी ने यह मिथक तोड़ते हुए न सिर्फ पूर्वात्तर के इस 'लालगढ़' को ढहाया बल्कि यहां अपना भगवा परचम लहरा दिया है. बीजेपी ने राज्य में दो-तिहाई बहुमत का रास्ता साफ कर लिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस जीत पर राज्य की जनता और कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए इस शून्य से शिखर तक की जीत करार दिया है. पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'त्रिपुरा की जीत साधारण नहीं है, यह शून्य से शिखर तक का सफर है. यह सब विकास के एजेंडे और संगठन की शक्ति से मुमकिन हुआ है. मैं जमीन पर काम करने वाले हर बीजेपी कार्यकर्ता को नमन करता हूं'

त्रिपुरा में इस बार मोदी लहर ने अपना जादू बिखेर दिया है. इस बार राज्य में 59 सीटों पर आ चुनाव हुए थे जिसमें से बीजेपी ने 40 सीटों पर बढ़त बना ली है. वहीं लेफ्ट 20 से नीचे सीटों पर सिमट गया है और मणिक सरकार की सत्ता जाना तय हो चुका है. बीजेपी की ओर से सीएम का चेहरा कौन होगा इस पर अभी मंथन होना बाकी है.

संगठन की जीतोड़ मेहनत

बीजेपी ने त्रिपुरा में सरकार बनाने के लिए संगठनात्मक और रणनीतिक स्तर पर कड़ी मेहनत की थी. पार्टी ने त्रिपुरा में भी कुल 42 हजार पन्ना प्रमुख नियुक्त किए थे. इन पन्ना प्रमुखों को उनके हिस्से में आए 60 वोटरों को साधने की जिम्मेदारी दी गई थी. पन्ना प्रमुखों को वोटरों से सीधा संपर्क साधने के साथ-साथ केन्द्र सरकार की नीतियों का प्रचार करना और वोटिंग के दिन यह सुनिश्चित करना था कि सभी वोटर अपना वोट डालने के लिए पोलिंग बूथ तक पहुंचे.

शीर्ष नेतृत्व का मिला साथ

पूर्वोत्तर में पार्टी ने लेफ्ट और कांग्रेस समेत अन्य क्षेत्रीय दलों का मुकाबला करने के लिए बीते दो साल के दौरान लगभग 23 पदाधिकारियों को चुनाव के कामकाज के चलते चुनावी राज्यों का दौरा करने की रणनीति पर काम किया. इस दौरान पार्टी के शीर्ष नेताओं और अन्य सेल के कामकाज देखने वाले पदाधिकारियों को तीनों राज्यों में केन्द्र सरकार के कामकाज और उपलब्धियों का प्रचार करने की जिम्मेदारी दी थी. इसके अलावा बीजेपी ने सुनील देवधर को त्रिपुरा का प्रभारी बनाया था जो बीते करीब 3 साल से वहीं डेरा जमाए हुए हैं.

मंत्रियों ने की रैलियां

बीजेपी ने राज्य के चुनावों के लिए प्रधानमंत्री की दो अहम रैलियों के साथ-साथ केन्द्र सरकार के दर्जनों मंत्रियों को प्रचार में उतारने का काम किया. गौरतलब है कि बीते 4 साल के कार्यकाल के दौरान बीजेपी ने राज्य में लगातार केंद्रीय मंत्रियों को भेजने का काम किया जिससे समय आने पर वह राज्य की माणिक सरकार के मुकाबले पार्टी को मजबूत विकल्प के तौर पर पेश कर सकें. केन्द्रीय मंत्रियों के इन दौरे में केन्द्र सरकार की योजनाओं का जमकर प्रचार किया गया और इन्हीं वजहों से बीजेपी राज्य में सरकार बनाने में सफल रही है.

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